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  • सद्भावना का दीप (राष्ट्रीय सद्भावना दिवस पर कविता )

    सद्भावना का दीप (राष्ट्रीय सद्भावना दिवस पर कविता )

    राष्ट्रीय सद्भावना दिवस भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर मनाया जाता है। यह दिवस विभिन्न समुदायों के बीच शांति, प्रेम, और सद्भावना को बढ़ावा देने का अवसर है। इस मौके पर प्रस्तुत है एक कविता, जो सद्भावना, एकता, और प्रेम के महत्व को दर्शाती है:

    सद्भावना का दीप (राष्ट्रीय सद्भावना दिवस पर कविता )

    सद्भावना का दीप

    जब दिलों में हो सद्भावना की ज्योति,
    हर दिशा में फैलेगी प्रेम की रौशनी,
    नफरत की दीवारें टूटेंगी सब,
    जब जुड़ेंगे दिल से दिल हर तरफ।

    मिले कदम से कदम, साथ बढ़े ये काफिला,
    भाईचारे की राह पर हर कोई चला,
    न जाति, न धर्म, न भाषा की बंदिश,
    हर कोई हो, बस इंसानियत का बंदीश।

    सद्भावना की महक बिखेरे,
    हर दिल में प्रेम के रंग भरे,
    आपस के भेद मिटा दें सारे,
    चलें हम एकता की डगर पर प्यारे।

    संकीर्णताओं को दूर भगाएं,
    समरसता का संदेश फैलाएं,
    नेकी और ईमान का दीप जलाएं,
    सद्भावना के गीत गाएं।

    हर चेहरा मुस्कान से खिले,
    हर दिल में हो शांति का बसेरा,
    हम मिलकर चलें इस राह पर,
    बनाएं विश्व को प्रेम का बसेरा।

    आओ मिलकर करें ये वादा,
    हर दिल में हो प्रेम का साधा,
    राष्ट्रीय सद्भावना दिवस पर हम,
    मानवता का करें सम्मान।

    जब मिलकर हम आगे बढ़ेंगे,
    तब नफरत का अंधेरा छंटेगा,
    एकता और प्रेम की इस यात्रा में,
    सपनों का भारत खिलेगा।

    सद्भावना का हो जब अलख जगे,
    हर इंसान के दिल में प्रेम पले,
    तो हर बाधा का अंत हो जाएगा,
    और हमारा समाज आदर्श बन जाएगा।


    यह कविता राष्ट्रीय सद्भावना दिवस के अवसर पर शांति, एकता, और भाईचारे की भावना को प्रकट करती है, जो हमें विभिन्नताओं के बावजूद एकजुट होकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।