
बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान
बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान *लापरवाही इक बड़ी,* *बनकर आई काल।**पल में प्रलय हो गई,* *छीने बाल गोपाल।।* लाड प्यार तैयार कर, देकर बस्ता, भोज। दादा दादी मात पिता, करते टाटा रोज।।किसको क्या ये था पता,…
बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान *लापरवाही इक बड़ी,* *बनकर आई काल।**पल में प्रलय हो गई,* *छीने बाल गोपाल।।* लाड प्यार तैयार कर, देकर बस्ता, भोज। दादा दादी मात पिता, करते टाटा रोज।।किसको क्या ये था पता,…
इस रचना में कवि ने अपनी कक्षा एवं शिक्षकों के सद्चरित्र होने का वर्णन किया है |
मेरी कक्षा - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम "