किसान पर हाइकु

किसान पर हाइकु

किसान पर हाइकु मेघ बरसेअनचाही बारिशटूटती आस खड़ी फसलहो रही है बर्बादरोता किसान खेत हैं सूखेभूख कौन मिटायेंबंजर धरा। रस्सी के फंदेशाहकारों का कर्जलम्बी गर्दन। कर्ज से मुक्तिशासन से राहतकृषक हंसा। अविनाश तिवारी

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23 दिसम्बर किसान दिवस पर कविता

तुझे कुछ और भी दूँ ! ● रामअवतार त्यागी तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ! माँ ! तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन, थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब स्वीकार कर लेना दयाकर वह समर्पण! गान … Read more

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किसान दिवस पर कविता (23 दिसम्बर)

तुझे कुछ और भी दूँ ! रामअवतार त्यागी तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ, देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ! माँ! तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन, थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब स्वीकार कर लेना दयाकर वह समर्पण! गान अर्पित, प्राण … Read more

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किसान पर कविता

village gram gaanv based hiindi poem

किसान पर कविता खेती किसानी पर कविता नांगर बइला पागा खुमरी संगहावय हमरो मितानीहोवत बिहनिया सूरूज जोत संगकरथंन खेती किसानी धरती दाई के सेवा बजाथंवचरण मा मांथ नवावंवरुख राई मोर डोंगरी पहाड़ीबनके मँय इतरावंवकलकल छलकत गंगा जइसनधार हे अरपा के पानीहोवत बिहनिया सूरूज जोत संगकरथंन खेती किसानी हरियर हरियर खेती अउ डोलीलहर लहर लहरावयपड़की परेवना … Read more

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किसान (कुण्डलिया)-मदन सिंह शेखावत

किसान (कुण्डलिया) खेती खुशियो की करे, बोए प्रेम प्रतीत।निपजाता मोती बहुत, सुन्दर आज अतीत।सुन्दर आज अतीत,पेट कब वह भर पाता।हालत बहुत खराब, दीन है अन्न प्रदाता।कहे मदन करजोर, ध्यान कृषकों का देती।होता वह सम्पन्न, करे खुशियो की खेती।। मदन सिंह शेखावत ढोढसर

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किसान पर दोहे -डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

dijendra-kurre-kohinoor

किसान पर दोहे धरती पुत्र किसान का , मत करना अपमान।जो करता सुरभित धरा,उपजाकर धन धान।। कॄषक सभी दुख पीर में , आज रहे है टूट।करते रहे बिचौलिए , इनसे निसदिन लूट।। रत्ती भर जिनको नही,फसल उपज का ज्ञान।वे अयोग्य रचने लगे , अब तो खेत विधान।। आंदोलन के नाम पर , डटे कृषक दिन … Read more

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