
आक्सीजन के लिए जंग- शिवेन्द्र यादव
आक्सीजन के लिए जंग कोरोना महामारी के चलते देश में अधिकतर मौतें आक्सीजन ना मिलने के कारण हुई हैं।लेकिन मनुष्य जिस गति से अपने निजी स्वार्थ के लिए निरंतर वृक्षो का दोहन कर रहा है ऐसा ना हो कि आने…
28th जुलाई विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस
हर साल 28 जुलाई को दुनिया भर में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। विश्व संरक्षण दिवस हर साल प्राकृतिक संसाधनों का संक्षरण करने के लिए सर्वोत्तम प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। पृथ्वी हमें सीमित मात्रा में ऐसे चीजों की आपूर्ति करती है, जिन पर हम सभी पूरी तरह निर्भर हैं जैसे पानी, हवा, मिट्टी और पेड़-पौधे।
आक्सीजन के लिए जंग कोरोना महामारी के चलते देश में अधिकतर मौतें आक्सीजन ना मिलने के कारण हुई हैं।लेकिन मनुष्य जिस गति से अपने निजी स्वार्थ के लिए निरंतर वृक्षो का दोहन कर रहा है ऐसा ना हो कि आने…
बस एक पेड़ ही तो काटा है बस एक पेड़ ही तो उखाड़ा है साहब!अगर ऐसा न हो तो बस्तियां कैसे बसेगी?प्रगति,तरक्की,ख़ुशयाली कैसे आएगी? हमें आगे चलना है,पीछे नहीं रहना है,दुनिया के साथ चलकर आगे बढ़ना है।आगे बढ़ने की रफ्तार…
प्रकृति संरक्षण मंत्र-अमिता गुप्ता प्रकृति हमारा पोषण करती,देकर सुंदर सानिध्य,जीवन पथ सुगम बनाती है,जीव-जंतु जगत की रक्षा को,निज सर्वस्व लुटाती है। आधुनिकीकरण के दौर में,अंधाधुंध कटाई कर,जंगलों का दोहन क्षरण किया,खग, विहंग, पशु कीटों का,घर-आंगन आश्रय छीन लिया। प्रदूषण स्तर…
हमें जमीं से मत उखाड़ो रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं कुल्हाड़ी अब मत मारो। आसमां के बादल से पूछो मुझको कैसे पाला है।हर मौसम में सींचा हमको मिट्टी-करकट झाड़ा है। उन…
मत करो प्रकृति से खिलवाड़ मत काटो तुम ये पहाड़,मत बनाओ धरती को बीहाड़।मत करो प्रकृति से खिलवाड़,मत करो नियति से बिगाड़।।1।। जब अपने पर ये आएगी,त्राहि-त्राहि मच जाएगी।कुछ सूझ समझ न आएगी,ऐसी विपदाएं आएंगी ।।2।। भूस्खलन और बाढ़ का…
प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन शज़र के शाखो पर परिंदा डरा डरा सा लगता है।ऐसी भी क्या तरक्की हुई है मेरे मुल्क में।कई शज़र के शाखाओं को काटकर और कई शज़र को उजाड़ कर शहर का शहर बसा लगता है।इन…
इस कविता में प्रकृति संरक्षण की बात कही गई है।
प्रकृति से प्रेम - रीता प्रधान प्रकृति की सुंदरता पर आधारित रचना
प्रकृति से खिलवाड़ और अनावश्यक विनाश करने का गंभीर परिणाम हमे भुगतना पड़ेगा। जिसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे।
समय रहते संभल जाएं। प्रकृति बिना मांगे हमे सब कुछ देती है।उनका आदर और सम्मान करें। संरक्षण करें।
भौतिकता की होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ की है। अपने विकास की मद में खोया मानव पर्यावरण संतुलन को भूल गया है। इस प्रकार के कृत्यों से ही आज कोरोना जैसी महामारी से मानव जीवन के अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।