प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन- विभा श्रीवास्तव

NATURE

प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन किलकारियाँ, खिलखिलाहट, अठखेलियाँ हवा के संग ….हमे बहुत याद आता है।बादलो का गर्जना ,बिजलियों का कड़कना ,और इन्द्रधनुष के रंग….हमे भी डराता और हसाता है। तितलियों का उड़ना ,भौरो का गुनगुनाना ,ये सब …..तुम्हे भी तो भाता है।सब कुछ था,है ,पर…..रहेगा या नही ,ये नही पता…, बरसो से खड़े रहकर … Read more

प्रकृति का प्रचंड रूप

प्रकृति का प्रचंड रूप

पर्यावरण संरक्षण के लिए पृथ्वी के उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग ही मानव जीवन के लिए उपयुक्त है।

प्रकृति का इंसाफ पर कविता

जलती धरती/डॉ0 रामबली मिश्र

प्रकृति का इंसाफ पर कविता कायनात में शक्ति परीक्षा,दिव्य अस्त्र-शस्त्र परमाणु बम से |सारी शक्तियां संज्ञा-शून्य हुई ,प्रकृति प्रदत विषाणु के भ्रम से |अटल, अविचल, जीवनदायिनी ,वसुधा का सीना चीर दिया |!दोहन किया युगो- युगो तक,प्रकृति को अक्षम्य पीर दिया ||सभ्य,सुसंस्कृत बन विश्व पटल पर,कर रहे नित हास-परिहास | त्राहिनाद गूंज रहा चहुं ओर ,अब … Read more

प्रकृति है जीवन का उपहार

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प्रकृति है जीवन का उपहार प्रकृति है जीवन का उपहार,इसे हम कब संभालेंगे।धरा की पावन आसन पर , इसे हम कब पौढ़ायेंगे।बचा ले अपने जीवन में , स्वास के दाताओं को अब , नहीं तो श्वास और उच्छवास को हम भूल जाएंगे।बेखट कट रहे हैं पेड़, हमारी ही इच्छाओं से , उजड़े बाग उपवन वन … Read more

प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन – शशांक गर्ग

पेड़ हमारे मित्र पर कविता"

प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन पर गद्य लेख