मत करो प्रकृति से खिलवाड़-एकता गुप्ता

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर कविता

मत करो प्रकृति से खिलवाड़

कविता संग्रह
कविता संग्रह

बदल गया है परिवेश हमारा ।
दूषित हो रहा है अपना वातावरण ।

काट काट कर हरे पेड़ों को।
क्यूं छीन रहे हरियाली का आवरण?

अनगिनत इमारतें दिन पर दिन बन रही।
फैक्ट्रियों के काले धुएं का लग रहा ग्रहण।

चारों ओर फैल रहा है प्रदूषण।
दूषित हो रहा है अपना वातावरण।

खतरे में पड़ गया सब का जीवन।
हो गया अनगिनत सांसो का हरण।

मत करो प्रकृति से खिलवाड़।
बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन।

क्षीण हो गई यदि प्रकृति।
कैसे हो पाएगा सबका भरण पोषण।

अभी भी कुछ नहीं है बिगड़ा।
चलो मिलकर करते हैं वृक्षों का फिर से रोपण।

स्वच्छ करें मिलकर वातावरण।
धरती को पहनायें हम फिर से हरा-भरा आवरण।

ऑक्सीजन और शुद्ध वायु की भी कमी होगी पूरी।
वसुंधरा का हो जाएगा फिर से हरियाली से अलंकरण।

हो जायेगा स्वर्णिम जीवन सबका।
हरियाली से परिपूर्ण हो जाये पर्यावरण
फिर से स्वच्छ हो जाएगा अपना वातावरण।

एकता गुप्ता

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

This Post Has 0 Comments

  1. Raunak Srivastava

    Very nice

  2. Ajay Gupta

    Very nice

  3. Amita

    विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर बहुत ही सुंदर संदेश प्रद रचना 👌👌

  4. Arpit

    मत करो प्रकृति से खिलवाड़…..
    बेहतरीन सृजन 👌👌

  5. Ashish

    Nice line ekta ji

  6. Shobhit gupta

    Khubsurat

  7. Shyamji Gupta

    Good

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