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स्वच्छता और मैं – नीता देशमुख

स्वच्छता और मैं

कविता स्वच्छता और मैं जो कि नीता देशमुख द्वारा रचित है जो हमें स्वच्छता अपनाने को प्रेरित कर रही है।

चारों और फैला एक आवरण
सभी का है वह पर्यावरण।
चहुँ ओर हरितिमा की चादर
सरोवर झीले व सुन्दर नहर।
उपहार अनमोल दिए प्रकृति ने
विकृत कर दिए उन्हें मानव ने।
जन जन मे लाना जागरूकता
सीखना सीखाना है स्वच्छता।
स्वयं ही कर्तव्य है निभाना
धरा को है स्वच्छ बनाना।
नीर को है निर्मल करना
मित्र बनाएंगे स्वच्छता को
दूर करेंगे रोग शत्रु को।
स्वच्छता और मै एक होंगे।
तन ही नहीं मन नेक होंगे।
पग पग उन्नति के प्रसून खिलेंगे।
क़ामयाबी के दीप प्रदीप्त होंगे।

नीता देशमुख
इंदौर (स्वरचित )

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