Tag: 8 अगस्त भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर हिंदी कविता

भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था। यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था।

  • भारत छोड़ो का जयघोष (भारत छोड़ो आंदोलन पर एक कविता)

    भारत छोड़ो का जयघोष (भारत छोड़ो आंदोलन पर एक कविता)

    यहां भारत छोड़ो आंदोलन पर एक कविता प्रस्तुत है:

    भारत छोडो आन्दोलन

    भारत छोड़ो का जयघोष

    सुनो कहानी वीरों की, जब भारत हुआ बेखौफ,
    आजादी का बिगुल बजा, उठा स्वतंत्रता का शोर।
    नव जागरण की लहर चली, एकता का उठा संकल्प ,
    भारत छोड़ो का नारा गूंजा, देश की हुई कायाकल्प ।

    अंग्रेजों की हुकूमत से, तंग हो गया था आमजन,
    तोड़नी थी बेड़ी हमें , मंजूर नहीं शोषण और दमन।
    गांधी के नेतृत्व में, आजादी का बिगुल बजा,
    ‘भारत छोड़ो’ का जयघोष, पूरे देश में गूंजा।

    8 अगस्त का दिन आया, संघर्ष की नई आंधी लाई,
    “अब अंग्रेजों, भारत छोड़ो!” हर कोने से बात गहराई
    जन-जन में जगी थी ज्वाला, आजादी का अलख जगाया,
    हर दिल में थी एक तमन्ना, एक नया साहस जुटाया ।

    सत्याग्रह की शक्ति से, किया अन्याय का प्रतिकार,
    गांधी, नेहरू, पटेल और सुभाष, सबने किया प्रहार ।
    महिला और पुरुष सभी ने, बढ़ाया आंदोलन का रथ,
    बालक-बालिकाओं ने भी, समझा अपना कर्तव्य पथ।

    हर गांव, हर शहर ने देखी, आजादी की जंग,
    भारत मां के खातिर सबने, सजाया लहू का रंग ।
    आंदोलन की ज्वाला में, जले थे कितने सपने प्यारे,
    न्योछावर हो गये आन्दोलन में, कई देशभक्त हमारे।

    जेलों में डाले गए थे कई स्वतंत्रता सेनानी,
    पर रुके नहीं कदम, बढ़ते रहे स्वाभिमानी।
    देशभक्ति की अग्नि में, तपे थे उनके अरमान,
    अंततः मिली विजय हमें, आजादी का नव विहान।

    15 अगस्त 1947 को, फहराया तिरंगा गर्व से,
    स्वतंत्रता का नव युग आया, भारत की जय से।
    आज हम सब मिलकर गर्व करें, उन बलिदानों की शान में,
    जिनके प्रयासों से मिला , स्वतंत्रता का यह वरदान हमें।

    याद रखें उस हिम्मत को, जो ‘भारत छोड़ो’ में आई,
    एकता की अद्भुत मिसाल, जिसने आजादी दिलाई।
    भारत मां के वीर सपूतों को, नमन करें बारंबार,
    जिनकी वजह से आज हम , स्वतंत्रता के हकदार।

    मनीभाई नवरत्न


    यह कविता भारत छोड़ो आंदोलन के संघर्ष और साहसिक प्रयासों को समर्पित है, जिसने देश को स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया।

  • भारत छोड़ो आंदोलन के वीर

    भारत छोड़ो आंदोलन के वीर

    भारत छोड़ो आंदोलन के वीर

    भारत छोड़ो आंदोलन के वीर

    देख अंग्रेजी हुकूमत की उग्र तानाशाही,
    बूढ़े भारत में फिर से जवानी लौट आई।
    क्रांतिकारी बुद्धिजीवियों का है यह पयाम,
    भारत छोड़ो आंदोलन के वीरों को सलाम।

    अंग्रेजों के अत्याचारों का था ऐसा मंजर,
    कर हुकूमत भोंकते थे भारतीयों पर खंजर।
    महात्मा गांधी के नेतृत्व में सफल हुआ काम,
    भारत छोड़ो आंदोलन के, वीरों को सलाम।

    कोई था हिंदू – मुसलमान कोई था ईसाई,
    वीर भारतीयों से अंग्रेजों ने मुंह की खाई।
    आंदोलन को मिली राह ऐसा था संग्राम,
    भारत छोड़ो आंदोलन के,वीरों को सलाम।

    ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ संघर्ष का था ये नारा,
    आंदोलन के लिए गांधी ने सबको था पुकारा।
    आजादी का गीत गाते सभी सुबह – शाम,
    भारत छोड़ो आंदोलन के,वीरों को सलाम।

    ‘करो या मरो नारा’ का गांधी ने किया आगाज,
    आंदोलन में भाग लिए सभी छोड़ – कामकाज।
    अखिल भारतीय कांग्रेस का हुआ था उत्थान,
    गांधी-मौलाना आजाद का होने लगा गुणगान।
    आंदोलन के वीरों का जुग-जुग रहेगा नाम,
    भारत छोड़ो आंदोलन के, वीरों को सलाम।

    अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ.ग.)पिन – 496440.