जुल्मी-अगहन

कविता संग्रह

जुल्मी-अगहन जुलुम ढाये री सखी,अलबेला अगहन!शीत लहर की कर के सवारी,इतराये चौदहों भुवन!!धुंध की ओढ़नी ओढ़ के धरती,कुसुमन सेज सजाती।ओस बूंद नहा किरणें उषा की,दिवस मिलन सकुचाती। विश्मय सखी शरमाये रवि- वर,बहियां गहे न धरा दुल्हन!!जुलूम…..सूझे न मारग क्षितिज व्योम-पथ,लथपथ पड़े कुहासा। प्रकृति के लब कांपे-न बूझे,वाणी की परिभाषा।मन घबराये दुर्योग न हो कोई-  मनुज … Read more

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12 महीनों पर कविता (बारहमासा कविता)

12 महीनों पर कविता : भारतीय कालगणना में एक वर्ष में 12 मास होते हैं। एक वर्ष के बारह मासों के नाम ये हैं-

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