संवेदना पर कविता -अमित दवे
संवेदना पर कविता कथित संवेदनाओं के ठेकेदारों कोसंवेदनाओं पर चर्चा करते देखा। संवेदनाओं के ही नाम पर संवेदनाओं काकतल सरेआम होते देखा।। साथियों के ही कष्टों की दुआ माँगतेसज्जनों को शिखर चढते देखा।। खेलों की बिसातों पे षड्यंत्रों सेअपना बन जग को छलते देखा।। वाह रे मेरे हमदर्दों हमदर्दी की आड मेंतुमको क्या क्या न … Read more