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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अमिता गुप्ता के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • प्रकृति संरक्षण मंत्र-अमिता गुप्ता

    प्रकृति संरक्षण मंत्र-अमिता गुप्ता

    प्रकृति संरक्षण मंत्र-अमिता गुप्ता

    प्रकृति संरक्षण मंत्र-अमिता गुप्ता

    प्रकृति हमारा पोषण करती,
    देकर सुंदर सानिध्य,
    जीवन पथ सुगम बनाती है,
    जीव-जंतु जगत की रक्षा को,
    निज सर्वस्व लुटाती है।

    आधुनिकीकरण के दौर में,
    अंधाधुंध कटाई कर,
    जंगलों का दोहन क्षरण किया,
    खग, विहंग, पशु कीटों का,
    घर-आंगन आश्रय छीन लिया।

    प्रदूषण स्तर हुआ अनियंत्रित,
    प्लास्टिक,पॉलिथिन का उपयोग बढ़ा,
    पोखर,तड़ाग,नद, झीलों का,
    मृदु नीर मानव ने अशुद्ध किया।

    रफ्ता-रफ्ता हरियाली क्षीण हुई,
    प्रकृति असंतुलन में आयी,
    कहीं पड़ा सूखा, कहीं अतिवृष्टि,
    कहीं सांसों को बचाने की मारामारी छाई।

    आओ सब मिल करें एक प्रण,
    प्रकृति संरक्षण मंत्र अपनाना है,
    जागरूक करें अंतर्मन को,
    वसुंधरा को हरा-भरा बनाना है।

    स्वरचित मौलिक रचना
    ✍️-अमिता गुप्ता
    कानपुर,उत्तर प्रदेश

  • रक्तदान महादान / अमिता गुप्ता

    रक्तदान महादान / अमिता गुप्ता

    विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। 

    रक्तदान महादान /अमिता गुप्ता

    रक्तदान महादान / अमिता गुप्ता


    (विश्व रक्तदाता दिवस)

    रक्तदान है महादान
    निष्प्राण को दे जीवनदान,
    इससे होता जनकल्याण
    मानव तू बना अपनी पहचान।

    रक्तदान साबित होता,
    निस्सहाय को वरदान,
    रक्त की एक एक बूंद
    टूटती सांसों को दे नव प्राण।

    तोड़ो मिथक तोड़ो भरम,
    रक्तदान की असली कीमत जान,
    रक्त तंत्र यह शुद्ध करें,
    सेहत को पहुंचाएं ना नुकसान।।


    –✍️ अमिता गुप्ता
    कानपुर,उत्तर प्रदेश

  • कोरोना महामारी का कहर -अमिता गुप्ता

    कोरोना महामारी का कहर -अमिता गुप्ता

    कोरोना वायरस
    corona


    कोरोना महामारी ने

    कैसा ये कहर बरसाया है,
    चहुंओर अंधेरा ही छाया है!


    कितने कुलदीपक बुझ ही गए,
    कितने परिवार यूं उजड़ गए,
    गर नहीं सचेते अब भी तो,
    उठ सकता सिर से साया है,
    चहुं ओर अंधेरा छाया है!


    कहीं ऑक्सीजन की कमी हुई,
    कहीं पल में सांसे उखड़ गई,
    यह मृत्यु का तांडव रुके यही,
    बेबसी से उबरें जल्द सभी,
    रुक जाए महामारी अब बस,
    जिसने चितकार मचाया है,
    चहुंओर अंधेरा छाया है!


    जहां लाड -प्यार हमें मिलता था,
    वहीं दूर-दूर हम रहते हैं,
    स्पर्श न कर सकते हैं उन्हें,
    बरबस आंसू यह बहते हैं,
    प्रभु अपने पल में बिछड़ रहे,
    यह कैसा दिन दिखलाया है?
    चहुंओर अंधेरा छाया है!


    ईश्वर से प्रार्थना करती हूं,
    महामारी को जल्दी निपटा दो,
    दुख के बादल छंट जाए सभी,
    आशा की किरण अब दिखला दो,
    सब स्वस्थ रहें, खुशहाल रहें,
    प्रार्थना में मेरी समाया है,
    चहुंओर अंधेरा छाया है!


    मेरी सबसे है अपील यही,
    सब घर पर रहो और स्वस्थ रहो,
    सब मास्क लगाओ और सभी,
    सामाजिक दूरी का पालन करो,
    मत करो अवहेलना नियमोें की,
    इन्हे पालन करने का दिन आया है,
    चहुंओर अंधेरा छाया है!


    –✍️अमिता गुप्ता

  • विश्व परिवार दिवस पर कविता -अमिता गुप्ता

    संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। 1995 से यह सिलसिला जारी है। परिवार की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

    परिवार

    विश्व परिवार दिवस पर कविता -अमिता गुप्ता


    15 मई को हम सब विश्व परिवार दिवस मनाते हैं,
    क्या है महत्ता इस परिवार की यह हम आपको बतलाते हैं,
    परिवार है एकता के सूत्र की माला,जिसमें हर सदस्य समाया है,
    जीवन की नैया को रंग बिरंगे रंगों से सजाया है,
    परिवार है हमारा रक्षा कवच,
    जिसने ढाल की तरह हमारा अस्तित्व बचाया है,
    जहां मिलता है दादी मां का प्यार,
    बाबाजी का दुलार,सब माननीयों का आशीर्वाद,
    इन सबकी दुआओं से घर रहता सदा आबाद।

    आज इस आधुनिकीकरण के दौर में,
    परिवार संयुक्त से एकल हो रहे,
    नैतिक मूल्यों के ज्ञान को,
    सब रफ्ता -रफ्ता खो रहे,
    कहीं द्वेष बढा़,कहीं दंभ बढा़,
    रिश्तो में निहित प्यार मिट गया,
    घर में ना जाने कब फूट पड़ी,
    भाई -भाई में रोष बढा़,
    मां-बाप की अवहेलना शुरू हुई,
    यह परिवार संकीर्णता में सिमट गया।


    संकीर्ण मानसिकता से,
    सब जन बाहर निकले,
    कदम से कदम मिलाकर,
    देश की नींव सुदृढ़ करें,
    संयुक्तता की डोर से परिवारों में,
    प्यार और सौहार्द का दीप जले,
    अमिता आह्वान कर रही,
    सब मिल परिवार दिवस की सार्थकता चरितार्थ करें,
    अपनी चंद पंक्तियों से हम यही बताते हैं,
    15 मई को हम सब विश्व परिवार दिवस मनाते हैं।।


    —-✍️अमिता गुप्ता