प्रकृति संरक्षण मंत्र-अमिता गुप्ता
प्रकृति हमारा पोषण करती,
देकर सुंदर सानिध्य,
जीवन पथ सुगम बनाती है,
जीव-जंतु जगत की रक्षा को,
निज सर्वस्व लुटाती है।
आधुनिकीकरण के दौर में,
अंधाधुंध कटाई कर,
जंगलों का दोहन क्षरण किया,
खग, विहंग, पशु कीटों का,
घर-आंगन आश्रय छीन लिया।
प्रदूषण स्तर हुआ अनियंत्रित,
प्लास्टिक,पॉलिथिन का उपयोग बढ़ा,
पोखर,तड़ाग,नद, झीलों का,
मृदु नीर मानव ने अशुद्ध किया।
रफ्ता-रफ्ता हरियाली क्षीण हुई,
प्रकृति असंतुलन में आयी,
कहीं पड़ा सूखा, कहीं अतिवृष्टि,
कहीं सांसों को बचाने की मारामारी छाई।
आओ सब मिल करें एक प्रण,
प्रकृति संरक्षण मंत्र अपनाना है,
जागरूक करें अंतर्मन को,
वसुंधरा को हरा-भरा बनाना है।
स्वरचित मौलिक रचना
✍️-अमिता गुप्ता
कानपुर,उत्तर प्रदेश