मातृभूमि वंदना

ताटंक छंदविधान- १६,१४ मात्रा प्रति चरणचार चरण दो दो चरण समतुकांतचरणांत मगण (२२२) मातृभूमि वंदना वंदन करलो मातृभूमि को,पदवंदन निज माता का।दैव देश का कर अभिनंदन,वंदन जीवन दाता का।सैनिक हित जय जवान कहें हम,नमन शहीद, सुमाता को।जयकिसान हम कहे साथियों,अपने अन्न प्रदाता को। विकसित देश बनाना है अब,जय विज्ञान बताओ तो।लेखक शिक्षक कविजन अपने,सबका मान … Read more

मृत्युभोज पर कविता

मृत्युभोज पर कविता मृत्युभोज(16,14)जीवन भर अपनो के हित में,मित हर दिन चित रोग करे।कष्ट सहे,दुख भोगे,पीड़ा ,हानि लाभ,के योग करे,जरा,जरापन सार नहीं,अबबाद मृत्यु के भोज करे। बालपने में मात पिता प्रिय,निर्भर थे प्यारे लगते।युवा अवस्था आए तब तक,बिना पंख उड़ते भगते।मन की मर्जी राग करेे,जन,मनइच्छा उपयोग करें।जरा,जरापन सार नहीं,परबाद मृत्यु के भोज करे। सत्य सनातन … Read more

श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद)

ताटंक छंद ~विधान :- १६, १४ मात्राभारदो दो चरण ~ समतुकांत,चार चरण का ~ छंदतुकांत में गुरु गुरु गुरु,२२२ हो। श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद) बने नींव की ईंट श्रमी जो,गिरा श्वेद मीनारों में।स्वप्न अश्रु मिलकर गारे में।चुने गये दीवारों में।श्वेद नींव में दीवारों में,होता मिला दुकानों में।महल किले आवास सभी के,रहता मिला मकानों … Read more

नमन करूँ मैं- बाबूलाल शर्मा

नमन करूँ मैं- बाबूलाल शर्मा नमन. ( 16,14) नमन करूँ मैं निज जननी को,जिसने जीवन दान दिया।वंदन करूँ जनक को जिसनेजीवन का अरमान दिया। नमन करूँ भ्राता भगिनी सब ,संगत रख कर स्नेह दिया।गुरु को नमन दैव से पहलेवाचन लेखन ज्ञान दिया।. ~~~~~मानुष तन है दैव दुर्लभम,अनुपम यही सौगात है।दैव,धरा,गुरु,भ्राता,भगिनी,परिजन पिता या मात है। गंगा … Read more

बातें पिता पद की- बाबूलाल शर्मा

बातें पिता पद की- बाबूलाल शर्मा सजीवन प्राण देता है,सहारा गेह का होते।कहें कैसे विधाता है,पिताजी कम नहीं होते। मिले बल ताप ऊर्जा भी,सृजन पोषण सभी करता।नहीं बातें दिवाकर की,पिता भी कम नही तपता। मिले चहुँओर से रक्षा,करे हिम ताप से छाया।नहीं आकाश की बातें,पिताजी में यहीं माया। करे अपनी सदा रक्षा,वही तो शत्रु के … Read more