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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ०बाबू लाल शर्मा बौहरा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

विरह पर दोहे -बाबू लाल शर्मा

विरह पर दोहे सूरज उत्तर पथ चले,शीत कोप हो अंत।पात पके पीले पड़े, आया मान बसंत।। फसल सुनहरी हो रही, उपजे कीट अनंत।नव पल्लव सौगात से,स्वागत प्रीत बसंत।। बाट निहारे नित्य ही, अब तो आवै कंत।कोयल सी कूजे निशा,ज्यों ऋतुराज…

mahatma gandhi

गाँधीजी पर कविता – बाबू लाल शर्मा

गाँधीजी पर कविता भारत ने थी ली पहन, गुलामियत जंजीर।थी अंग्रेज़ी क्रूरता, मरे वतन के वीर।हाल हुए बेहाल जब, कुचले जन आक्रोश।देख दशा व्याकुल हुए, गाँधी वर मतिधीर। काले पानी की सजा, फाँसी हाँसी खेल।गोली गाली साथ ही , भर…

शब्दो पर दोहे

शब्दो पर दोहे १सागर मंथन जब हुआ, चौदह निकले रत्न।*अन्वेषण* नित कर रहे, सतत समस्त प्रयत्न।।२*सम्प्रेषण* होता रहे, भव भाषा भू ज्ञान।विश्व राष्ट्र परिकल्पना, हो साकार सुजान।।३अपनी रही विशेषता, सब जन के परि त्राण।बना *विशेषण* हिन्द यह, सागर हिन्द प्रमाण।४*अन्वेषण*…

परशुराम जयंती पर रचना

परशुराम जयंती पर रचना हे ! विष्णु के छठवें अवतारी, जगदग्नि रेणुका सुत प्यारे ।तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।भृगुवंशी हो तुम रामभद्रब्राम्हण कुल में तुम अवतारीतुम मात पिता के परम भक्तजाए तुम पर दुनिया…