भूट्टे की भड़ास बाल कविता
बाल कविता भूट्टे की भड़ास एक भूट्टा का मूंछ पका था,दूसरे भूट्टे का बाल काला।डंडा पकड़ के दोनों खड़े थे,रखवाली करता था लाला।। शर्म के मारे दोनों ओढ़े थे,हरे रंग का ओढ़नी दुशाला।ठंड के मौसम टपकती ओस,खूब पड भी रहा था पाला।। मारे ठंड के दोनों ही भूट्टे,मांगने लगे चाय का प्याला।चूल्हे की आग से … Read more