मुस्कुराकर चल मुसाफिर / गोपालदास “नीरज”
मुस्कुराकर चल मुसाफिर / गोपालदास “नीरज” पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर! वह मुसाफिर क्या जिसे कुछ शूल ही पथ के थका दें?हौसला वह क्या जिसे कुछ मुश्किलें पीछे हटा दें?वह प्रगति भी क्या जिसे कुछ रंगिनी कलियाँ…