मुस्कुराकर चल मुसाफिर / गोपालदास “नीरज”

मुस्कुराकर चल मुसाफिर / गोपालदास “नीरज” पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर! वह मुसाफिर क्या जिसे कुछ शूल ही पथ के थका दें?हौसला वह क्या जिसे कुछ मुश्किलें पीछे हटा दें?वह प्रगति भी क्या जिसे कुछ रंगिनी कलियाँ तितलियाँ,मुस्कुराकर गुनगुनाकर ध्येय-पथ, मंजिल भुला दें?जिन्दगी की राह पर केवल वही पंथी सफल है,आँधियों में, … Read more

जीवन नहीं मरा करता है – गोपाल दास नीरज

जीवन नहीं मरा करता है-गोपाल दास नीरज छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालोंकुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है। सपना क्या है, नयन सेज परसोया हुआ आँख का पानीऔर टूटना है उसका ज्योंजागे कच्ची नींद जवानीगीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालोंकुछ पानी के बह जाने से, सावन … Read more

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज”

मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज” मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर कीहो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ? मीलों जहाँ न पता खुशी कामैं उस आँगन का इकलौता,तुम उस घर की कली जहाँ नितहोंठ करें गीतों का न्योता,मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम … Read more

हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास “नीरज”

हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास “नीरज” हार न अपनी मानूँगा मैं ! चाहे पथ में शूल बिछाओचाहे ज्वालामुखी बसाओ,किन्तु मुझे जब जाना ही है —तलवारों की धारों पर भी, हँस कर पैर बढ़ा लूँगा मैं ! मन में मरू-सी प्यास जगाओ,रस की बूँद नहीं बरसाओ,किन्तु मुझे जब जीना ही है —मसल-मसल कर उर के … Read more

खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास “नीरज”

खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास “नीरज” खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने कोमिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछड़ने कोखिलते हैं गुल यहाँ… कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार काकल रुके न रुके, डोला बहार काचार पल मिले जो आज, प्यार में गुज़ार देखिलते हैं गुल यहाँ… झीलों के होंठों पर, मेघों का राग … Read more