Tag: Hindi Poem on Magh Basant Panchami

  • बसंत का आगाज़

    संत का आगाज़

    ये कैसी झुरझुरी है,
    कैसा मधुर आभास है।।
    सर्द ऋतु के बाद सखी,
    बसंत जैसा अहसास है।।

    खेतों में सरसों महकी,
    पीला ओढ़ा लिबास है।।
    धरा बिखरी हरियाली सखी,
    चहुंओर फैला उल्लास है।।

    चीं चीं चीं चिड़िया चिहुंकी,
    ये तो बसंत का अहसास है।।
    हां हां सखी सही समझी,
    ये तो बसंत का आगाज़ है।।

    सरस्वती मां की वीणा से,
    सुरीली सी झंकार है।।
    कोयल कुहूं कुहूं बोली सखी,
    बसंत का आगाज़ है।।

    झूमो नाचो खुशियां मनाओ,
    त्यौहारों का आगाज़ है।।
    शिवरात्रि फिर होली सखी,
    बसंत से हुई शुरुआत है।।

    राकेश सक्सेना,
    3 बी 14 विकास नगर,
    बून्दी (राजस्थान)
    मो. 9928305806

  • ऋतुओं का राजा होता ऋतुराज बसंत

    ऋतुओं का राजा होता ऋतुराज बसंत

    ऋतुओं का राजा

    इस दुनिया में तीन मौसम है सर्दी गर्मी और बरसात।
    इनमें आते ऋतुएं छह ,चलो करते हैं हम इनकी बात।
    सभी ऋतुओं का राजा होता , ऋतुराज बसंत।
    चारों ओर हरियाली फैलाता, चित्त को देता आनंद।।
    फरवरी कभी मार्च से होता है तुम्हारा आगमन।
    खेतों में सरसों के फूल , झूमते हैं होकर मस्त मगन।
    पूरे साल में केवल बसंत में खिलते हैं फूल कमल ।
    पशु-पक्षी भी करती इस ऋतु में , अति चहल पहल।
    प्रकृति की सुंदरता बढ़ाती, पेड़ों की हर डाली लहराता।
    ना ज्यादा गर्मी लगती है , ना ज्यादा सर्दी सताता।
    चारों ओर छाती प्रसन्नता, मधुर तान सुनाती अपनी कोयल।
    पीलापन छा जाता सब ओर, पैरों में छनकती खुशियों की पायल।
    ऋतु वसंत के नाम पर , लोग मानते त्यौहार वसंत पंचमी।
    मात सरस्वती की पूजा करते , मन से अपने पूरे सभी।
    होली जैसा रंग बिरंगा, त्यौहार देन है ऋतु वसंत की।
    मेला लगाते कई जगहों पर , व्यक्त करते अपने आनंद की।
    इसीलिए तो ऋतु वसंत , ऋतुओं का राजा कहलाता है।
    वातारण में लाता नवीनता , मन को प्रफुल्लित कराता है।।

    रीता प्रधान,रायगढ

  • आता देख बसंत

    आता देख बसंत
    आता देख बसंत, कोंपलें तरु पर छाए।
    दिनकर होकर तेज,शीत अब दूर भगाए।।
    ग्रीष्म शीत का मेल,सभी के मन को भाए।
    कलियाँ खिलती देख, भ्रमर भी गीत सुनाए।
    मौसम हुआ सुहावना,स्वागत है ऋतुराज जी।
    हर्षित कानन बाग हैं,आओ ले सब साज जी।।

    यमुना तट ब्रजराज, पधारो मोहन प्यारे।
    सुंदर सुखद बसंत ,सजे नभ चाँद सितारे।।
    छेड़ मुरलिया तान, पुकारो अब श्रीराधे।
    महाभाव में लीन, हुई हैं प्रेम अगाधे।।
    देखो गोपीनाथजी, आकुल तन मन प्राण हैं।
    रास करें आरंभ शुभ,दृश्य हुआ निर्माण है।।

    धरा करे श्रृंगार,पुष्प मकरंद सँवारे।
    कर मघुकर गुंजार,मधुर सुर साज सुधारे।।
    बिखरा सुमन सुगंध, पलासी संत सजारे।
    आया नवल बसंत,मिलन हरि कंत पधारे।।
    आनंदित ब्रजचंद हैं,सुध बिसरी ब्रजगोपिका।
    ब्रज में ब्रम्हानंद है,श्रीराधे आल्हादिका।।

    -गीता उपाध्याय'मंजरी' रायगढ़ छत्तीसगढ़

  • शब्द तुम मीत बनो

    शब्द तुम मीत बनो

    शब्द मेरे मन मीत बनो ,
    जीवन का संगीत बनो,
    हर मुश्किल हालातों में ,
    मेरी अपनी जीत बनो।

    नित्य तुम्हारी साधना,
    करती रहूँ आराधना।
    कर देना मनमुदित मुझे ,
    व्यवहारिक नवनीत बनो।

    सदा सहयोग तुम्हारा ,
    हृदय प्रफुल्लित हमारा।
    अभिव्यक्ति अनमोल बने,
    प्रणय के मेरे गीत बनो।

    सहज धारा भावों की हो,
    फिर लेखन में समृद्धि हो।
    दुनिया भर का सुख तुमसे,
    मेरे सुर – संगीत बनो।

    संकोच नहीं तुमसे कभी,
    तुम मन के उद्गार सभी।
    मुखरित रहो सदा मुख से ,
    मन की प्यारी प्रीत बनो।

    तुम मेरी परिचय-रेखा ,
    बाकी कर्म है अनदेखा।
    जीवन भर साथ हमारा ,
    तुम सुखमय अतीत बनो।

    शब्द शब्द तुम कली बनो,
    और निखरकर सुमन बनो।
    माँ सरस्वती की हो कृपा ,
    तुम कविता की रीत बनो।

    मधुसिंघी
    नागपुर(महाराष्ट्र)

  • वीणा वादिनी नमन आपको प्रणाम है

    वीणा वादिनी नमन आपको प्रणाम है

    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami
    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami

    शब्द-शब्द दीप की, अखंड जोत आरती |

    प्रकाश पुंज से प्रकाशवान होती भारती |

    खंड-खंड में प्रचंड, दीप्ति विघमान है |

    वीणा वादिनी नमन, आपको प्रणाम है |

    साधकों की साधना में,

    एकता के स्वर सजे,

    आपकी आराधना में,

    साज संग मृदंग बजे |

    कोटि-कोटि वंदनाएं, आपके ही नाम हैं |

    वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |

    नेक काज कर सके,

    हमको ऐसी बुद्धि दो,

    छल कपट से हो परे,

    आत्मा में शुद्धि दो |

    सत्य की डगर में माना, मुश्किलें तमाम हैं |

    वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |

    बुराइयों से हों परे,

    नेकियों का साथ हो,

    मेरे शीश पर सदा,

    आपका ही हाथ हो |

    भोर थी विभोर सी, अब सुहानी शाम है |

    वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |

    सद्भाव की डगर चलें,

    समग्रता सुलभ मिले,

    रहे ज़मीन पर क़दम,

    चाहें सारा नभ मिले |

    उपासना में आपकी, सत्य का ही नाम है |

    वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |
    उमा विश्वकर्मा, कानपुर, उत्तरप्रदेश