लेखनी तू आबाद रहे – बाबूराम सिंह

कविता लेखनी तू आबाद रह ——————————- जन-मानस ज्योतित कर सर्वदा, हरि भक्ति प्रसाद रह। लेखनी तूआबाद रह। पर पीडा़ को टार सदा, शुभ सदगुण सम्हार सदा। ज्ञानालोक लिए उर अन्दर, कर अन्तः उजियार सदा। बद विकर्म ढो़ग जाल फरेब का, कभी नहीं फरियाद रह। लेखनी तू आबाद रह। शुभ सदगुण सत्कर्म सिखा, सत्य धर्म की … Read more