मंजिल पर कविता – सृष्टि मिश्रा

मंजिल पर कविता राही तू आगे बढ़ता चल, देखो मंजिल दूर नहीं है।मेहनत कर आगे बढ़ता चल, देखो वो तेरे पास खड़ी है।। सच्चाई के ताकत के बल पर,अपने सपनों को पूरा कर।दिखा दे अपने जज्बे को तू,मातृभुमि की रक्षा कर।।राही तू आगे बढ़ता चल, देखो मंजिल दूर नहीं है। मत सह जुल्म और अत्याचारों … Read more

मंज़िल पर कविता

मंज़िल पर कविता   सूर्य की मंज़िल अस्ताचल तक,तारों की मंज़िल सूर्योदय तक।नदियों की मंज़िल समुद्र तक,पक्षी की मंज़िल क्षितिज तक। अचल की मंज़िल शिखर तक,पादप की मंज़िल फुनगी तक।कोंपल की मंज़िल कुसुम तक,शलाका की मंज़िल लक्ष्य तक। तपस्वी की मंज़िल मोक्ष तक,नाविक की मंज़िल पुलिन तक।श्रम की मंज़िल सफलता तक,पथिक की मंज़िल गंतव्य तक। … Read more