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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०डा० डॉ एन के सेठी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

माता के नवराते पर कुंडलियाँ

नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन…

घर मंदिर पर कविता

घर मंदिर पर कविता त्याग और सहयोग जहाँ होघर वो ही कहलाता है।इक दूजे में प्यार बहुत होघर मंदिर बन जाता है।।1।। आँगन में किलकारी गूँजेघर बच्चों से भरा रहे।नारी का सम्मान जहाँ होप्रेम और सहयोग रहे।।2।। बड़े दिखाए स्वयं…

बंधन पर कविता

बंधन पर कविता बंधन बांधो ईश से, और सभी बेकार।केवल ब्रह्म सत्य है,पूरा जगत असार।। बंधन केवल प्यार का,होता बड़ा अनूप।स्वार्थ भावना से रहित,होता इसका रूप।। कर्मों का बंधन हमे,बांधे इस संसार।कर्म करें निष्काम तो,होते भव से पार।। मर्यादा में…

रजत विषय पर दोहा

रजत विषय पर दोहा रजत वर्ण की चाँदनी,फैल रही चहुँओर।चमक रहा है चंद्रमा, लगे रात भी भोर।। रात अमावस बाद ही , होता पूर्ण उजास।दुग्ध धवल सी पूर्णिमा,करती रजत प्रकाश।। कर्म सभी ऐसा करो , हो जाए जो खास।रजत पट्टिका…

शिव-शक्ति पर कविता

प्रस्तुत कविता शिव शक्ति पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

कवि पर दोहे

कवि पर दोहे विधी की सृष्टि से बड़ा, कवि रचना संसार।षडरस से भी है अधिक,इसका रस भंडार।।1।। विधि रचना संसार का,इक दिन होता अंत।कवि की रचना का कभी ,कभी न होता अंत।।2।। रवि नही पहुँचे जहां,कवी पहुंच ही जाय।कवि की…

सवेरा पर कविता

सवेरा पर कविता हुआ सवेरा जानकर , गुंजन करे विहंग।चले नहाने सर्वजन,कलकल करती गंग।। नित्य सवेरे जो उठे , होता वह नीरोग।सुख से वह रहता सदा,करता है सुखभोग।। नित्य सवेरे जो जपे, मन से प्रभु का नाम।मिट जाते है कष्ट…

अलि पर कविता

अलि पर कविता अलि पुष्प के पराग से,लेता है रससार।पुष्प पुष्प पर बैठता , करे सदा गुंजार।। अलि करता मधुमास में,फूलों का रसपान।कोयल मीठा गात है ,करती है गुण गान।। कली कली में बैठता,अलि करता मधुपान।मस्त मगन हो घूमता,गुन गुन…

महँगाई पर दोहे

महँगाई पर दोहे महँगाई की मार से , हर जन है बेहाल।निर्धनभूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल।।1।। महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिनरात।पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात।।2।। महँगाई में हो गया , गीला आटा दाल।पूँछे कौन गरीब को,जिसका है बेहाल।।3।।…

हंसवाहिनी माँ पर कविता

हंसवाहिनी माँ पर कविता हंसवाहिनी मात शारदेहमको राह दिखा देना।वीणापाणि पद्मासना माँतम अज्ञान हटा देना।।???विद्यादायिनी तारिणी माँकरु प्रार्थना मैं तेरी।पुस्तकधारिणी माँ भारतीहरो अज्ञानता मेरी।।???हम सब अज्ञानी है माताहम पर तुम उपकार करो।तुम दुर्बुद्धि दुर्गुण मिटाकरशुचि ज्ञान का दान करो।।???हे धवलवस्त्रधारिणी…