बेटी (चौपाईयाँ) – डॉ एन के सेठी

बेटी (चौपाईयाँ) – डॉ एन के सेठी बेटी करती घर उजियारा।दूर करे जग काअँधियारा।।बेटी होती सबकी प्यारी।लगती है सबसे ही न्यारी।। सृष्टा की सुंदर सृष्टी है।करती खुशियों की वृष्टी है।।बेटी घर को पावन करती।घर पूरा खुशियों से भरती।। बेटी आन बान घर घर की।बेटी रौनक है इस जग की।। बेटी आँगन की फुलवारी।पापा की है … Read more

धरती माँ- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में धरती माँ के साथ हुए अत्याचार का विवरण मिलता है | साथ ही लोगों को धरती माँ की सेवा हेतु प्रेरित करने का प्रयास किया गया है |
धरती माँ- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

मेघ पर दोहे – डॉ एन के सेठी

यह दोहा एनके सेठी द्वारा बादल को आधार मान कर लिखी गई हैं

सावन पर कुंडलियाँ छंद -डॉ एन के सेठी

सावन विषय पर आधारित कुंडलिया
में रचित डॉ एन के सेठी की रचना

व्यर्थ न बैठो काम करो तुम- डॉ एन के सेठी

विषय-मेहनत
विधा-सार छन्द

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व्यर्थ न बैठो काम करो तुम
मेहनत से न भागो।
आलस छोड़ो करो परिश्रम
सभी नींद से जागो।।

कर्म करो परिणाम न देखो
अपना भाग्य बनाओ।
मेहनत से आगे बढ़ो तुम
जीवन सफल बनाओ।।

आए हम सब इस दुनिया में
कर्म सभी करने को।
मेहनत करें सब मिलकर हम
जग नही विचरने को।।

खुश होते भगवान सदा ही
हिम्मत सदा दिखाओ।
करो परिश्रम जीवन में तुम
आगे बढ़ते जाओ।

मिलता मेहनत से सभी को
जीवन उन्नति पाए।
बढ़े सदा हिम्मत से आगे
भाग्य बदलता जाए।।

हर एक संकट मेहनत से
हल हो ही जाता है।
जीवन में पुरुषार्थ सदा ही
मान यहाँ पाता है।।

जीवन का पर्याय मेहनत
इससे सबकुछ होता।
करता जोआलस्य यहाँ पर
वह सब कुछ है खोता।।

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©डॉ एन के सेठी