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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०डा० डॉ एन के सेठी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • बेटी (चौपाईयाँ) – डॉ एन के सेठी

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    बेटी (चौपाईयाँ) – डॉ एन के सेठी

    बेटी करती घर उजियारा।
    दूर करे जग काअँधियारा।।
    बेटी होती सबकी प्यारी।
    लगती है सबसे ही न्यारी।।

    सृष्टा की सुंदर सृष्टी है।
    करती खुशियों की वृष्टी है।।
    बेटी घर को पावन करती।
    घर पूरा खुशियों से भरती।।

    बेटी आन बान घर घर की।
    बेटी रौनक है इस जग की।।
    बेटी आँगन की फुलवारी।
    पापा की है राजदुलारी।।

    बेटी से घर आँगन महके।
    बेटी चिड़िया की सी चहके।।
    बेटी को भी खूब पढ़ाओ।
    उसको सब दिल सेअपनाओ।।

    बेटी कुल की बेल बढ़ाती।
    सबको आपस में मिलवाती।।
    दो दो कुल का मान बढाएं।
    बेटी जन्मे खुशी मनाएं।।

    डॉ एन के सेठी

  • धरती माँ- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    धरती माँ- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    धरती माँ तुम पावन थीं
    धरती माँ तुम निश्चल थीं
    रूप रंग था सुंदर पावन
    नदियाँ झरने बहते थे कल- कल
    मोहक पावन यौवन था तेरा
    मंदाकिनी पावन थी सखी तुम्हारी
    बहती थी निर्मल मलहारी

    इन्द्रपुरी सा बसता था जीवन
    राकेश ज्योत्सना बरसाता था
    रूप तेरा लगता था पावन
    रत्नाकर था तिलक तुम्हारा
    मेघ बने स्नान तुम्हारा

    पंछी पशु सभी मस्त थे
    पाकर तेरा निर्मल आँचल
    राम कृष्ण बने साक्ष्य तुम्हारे
    पैर पड़े थे जिनके तुझ पर न्यारे
    चहुँ और जीवन – जीवन था
    मानव – मानव सा जीता था

    कोमल स्पर्श से तुमने पाला
    मानिंद स्वर्ग थी छवि तुम्हारी
    आज धरा क्यों डोल रही है
    अस्तित्व को अपने तोल रही है
    पावन गंगा रही ना पावन
    धरती रूप न रहा सुहावन
    अम्बर ओले बरसाता है
    सागर भी सुनामी लाता है

    नदियों में अब रहा ना जीवन
    पुष्कर अस्तित्व को रोते हर – क्षण
    मानव है मानवता खोता
    संस्कार दूर अन्धकार में सोता
    संस्कृति अब राह भटकती
    देवालयों में अब कुकर्म होता
    चाल धरा की बदल रही है
    अस्तित्व को अपने लड़ रही है

    आओ हम मिल प्रण करें अब
    मातु धरा को पुण्य बनाएँ
    इस पर नवजीवन बिखराएँ
    प्रदूषण से करें रक्षा इसकी
    इस पर पावन दीप जलायें

    हरियाली बने इसका गहना
    पावन हो जाए कोना – कोना
    ना रहे बाद ना कोई सुनामी
    धरती माँ की हो अमर कहानी
    धरती माँ की हो अमर कहानी

  • मेघ पर दोहे – डॉ एन के सेठी

    मेघ पर दोहे – डॉ एन के सेठी

    बरस रहें हैं मेघ अब, करे गर्जना घोर।
    नदियाँ जल से पूर्ण है,हरियाली चहुँओर।।

    मौसम है बरसात का, लाए मेघा नीर।
    झूम रहा मनमस्त हो,पुलकित हुआशरीर।।

    उमड़ घुमड़आई घटा,बिजली करे उजास।
    मेघों से बरसे अमृत, मन में हो विश्वास।।

    दादुर टर्राने लगे, झींगुर करते शोर।
    देख उमड़ते मेघ को , नाच रहा है मोर।।

    अम्बुद बादलअरु जलद,मेघ अरु घनश्याम।
    तोयद जलधर वारिधर, अब्र पयोधर नाम।।

    © डॉ एन के सेठी

  • सावन पर कुंडलियाँ छंद -डॉ एन के सेठी

    सावन पर कुंडलियाँ छंद

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    धरती दुल्हन सी सजी,महक रही चहुँओर।
    सावन के झूले पड़े, नाच रहा मन मोर।।
    नाच रहा मनमोर,प्रकृतिअब मन को भाए।
    देख उमड़ते मेघ, अभी दादुर टर्राए।।
    कहता कवि करजोरि,हमें खुशियों सेभरती।
    हरा भरा श्रृंगार, सजी है पूरी धरती।।

    गाओ मिलकर के सभी, गीत राग मल्हार।
    पेडों पर झूले पड़े, सावन शीत फुहार।।
    सावन शीत फुहार,समय यही उल्लास का।
    झूम रहा मनमस्त, दीप जले विश्वास का।।
    कहता कवि करजोरि,सभी मिल खुशी मनाओ।
    हरियाली के बीच, गीत सावन के गाओ।।

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    ©डॉ एन के सेठी

  • व्यर्थ न बैठो काम करो तुम- डॉ एन के सेठी

    मेहनत-सार छन्द

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    व्यर्थ न बैठो काम करो तुम
    मेहनत से न भागो।
    आलस छोड़ो करो परिश्रम
    सभी नींद से जागो।।

    कर्म करो परिणाम न देखो
    अपना भाग्य बनाओ।
    मेहनत से आगे बढ़ो तुम
    जीवन सफल बनाओ।।

    आए हम सब इस दुनिया में
    कर्म सभी करने को।
    मेहनत करें सब मिलकर हम
    जग नही विचरने को।।

    खुश होते भगवान सदा ही
    हिम्मत सदा दिखाओ।
    करो परिश्रम जीवन में तुम
    आगे बढ़ते जाओ।

    मिलता मेहनत से सभी को
    जीवन उन्नति पाए।
    बढ़े सदा हिम्मत से आगे
    भाग्य बदलता जाए।।

    हर एक संकट मेहनत से
    हल हो ही जाता है।
    जीवन में पुरुषार्थ सदा ही
    मान यहाँ पाता है।।

    जीवन का पर्याय मेहनत
    इससे सबकुछ होता।
    करता जोआलस्य यहाँ पर
    वह सब कुछ है खोता।।

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    ©डॉ एन के सेठी