Tag: बादल पर कविता
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करिया बादर पर कविता
भुँईया के छाती ह फाटगे। पानी सुखागे हे घाट के।
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नभ में छाए काले मेघ
नभ में छाए काले मेघ नभ में छाए काले मेघ.झूमती धरती इसको देख.बिन नीर प्यासी धरा पर,मेघ लाते आशाएं अनेक। खेत लहराए अपनी आँचल,बागों में…
भुँईया के छाती ह फाटगे। पानी सुखागे हे घाट के।
नभ में छाए काले मेघ नभ में छाए काले मेघ.झूमती धरती इसको देख.बिन नीर प्यासी धरा पर,मेघ लाते आशाएं अनेक। खेत लहराए अपनी आँचल,बागों में…