गाय पालन पर छत्तीसगढ़ी कविता

गाय पालन पर छत्तीसगढ़ी कविता पैरा भूँसा ,कांदी-कचरा,कोठा कोंन सँवारे,हड़ही होगे ,बछिया कहिके रोजेच के धुत्कारे।। बगियाके बुधारू ,छोड़िस,गउधन आन खार।बांधे-छोरे जतने के,झंझट हे बेकार।। बछिया आगे शहर डहर अउपारा-पारा घुमय।कोनो देदे रोटी-भातलइका मन ह झुमय।। देखते-देखत बछिया संगीघोसघोस ले मोटागे।चिक्कन-देहें ,दिखन लागयमन सबके हरसागे।। आना होगे एक दिन संगीबुधारू के हाट।देख परिस ,बछिया ललालच … Read more

गाय पर कविता (दोहा) – मदन सिंह शेखावत

गाय एक महत्त्वपूर्ण पालतू पशु है जो संसार में प्रायः सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म का दूध प्राप्त होता है। हिन्दू, गाय को ‘माता’ कहते हैं। इसके बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतों की जुताई करते हैं। भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है। विकिपीडिया गाय पर कविता … Read more

गाय गरुवा के हड़ताल

गाय गरुवा के हड़ताल हमरो बनय राशन कारड चारा मिलय सरकारी ।सब्बो योजना ल छोड़ भर पेट मिलय थारी।जब तक पूरा न होवय गरुवा घुरुवा अउ बारी ।गाय गरुवा के हड़ताल रही जारी…….। छत्तीसगढ़ के चारो कोती हामर हावय चिन्हारी ।चाहे नेता चाहे बाबा चाहे ओ रास बिहारी।लोटा लोटा गोरस पियय चारा के नइये पुछारी … Read more