मन पर कविता

मन पर कविता सोचा कुछहो जाता कुछ हैमन के ही सब सोचमन को बांध सका न कोईमन खोजे सब कोय।।⭕हल्के मन से काम करो तोसफल रहे वो कामबाधा अगर कोई…

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मन की व्यथा

मन की व्यथा इस निर्मोही दुनिया में कूट-कूट कर भरा कपट कहाँ फरियाद लेकर जाऊँ मैं किसके पास लिखाऊँ रपट जिसे भी देखो इस जहाँ में भगा देता है मुझे…

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मन की अभिलाषा

मन की अभिलाषा वेदना का हो अंत फिर आए जीवन में बसंत मन की प्रसन्नता हो अनंत दुःख का पूर्णविराम हो मन में न कोहराम हो। आस का पंक्षी सहन…

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मन पर कविता

मन पर कविता मन सरिता बहाती कलकल स्वछन्द वेग से तेरी स्मृतियों का जल। मन सरिता की गहराई अथाह तेरी स्मृतियों का ही रखरखाव। मन सरिता की लहरें अशांत कभी…

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मनुष्य का मन- ताज मोहम्मद

प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक मनुष्य का मन जोकि ताज मोहम्मद है. इसे मानव जीवन को आधार मानकर रची गयी हैं".

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मन पर कविता

मन पर कविता (१६,१६)मानव तन में मन होता है,जागृत मन चेतन होता है,अर्द्धचेतना मन सपनों मे,शेष बचे अवचेतन जाने,मन की गति मन ही पहचाने।मन के भिन्न भिन्न भागों में,इड़, ईगो…

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मन पर कविता -शशिकला कठोलिया

मन पर कविता रे मेरे मन ,ये तू क्या कर रहा है ,जो तेरा नहीं उसके लिए तू क्यों रो रहा है? दफन कर दे अपने सीने में, अरमानों को ,जो सागर की लहरों…

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