मन की अभिलाषा

मन की अभिलाषा

वेदना का हो अंत
फिर आए जीवन में बसंत
मन की प्रसन्नता हो अनंत
दुःख का पूर्णविराम हो
मन में न कोहराम हो।

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आस का पंक्षी सहन पाए
उड़ने को पूरा गगन पाए
दुविधा में न क्षण लुटाए
मन का मधूर सुर तान हो
मन में न कोहराम हो।

संघर्ष का मार्ग प्रशस्त हो
देश-जनहित हेतू जीवन व्यस्त हो
आस न टूटे, हौसले न पस्त हो
देशहित को चलते सुबह-शाम हो
मन में न कोहराम हो।

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