सावन के दोहे

दोहा

सावन के दोहे बारिश की यादें लिए , सिसके सावन देख ।वर्णन करना चाहता , काव्य सजा कवि लेख ।। बीत रहा चौमास है , नीर बिना बेहाल ।कहीं-कहीं वर्षा अधिक , संग उतारे काल ।। रूठा सावन कह रहा , मैं जीवन पट चीत ।कोई क्रंदन कर रहा , कोई गाता गीत ।। साजूँ … Read more

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सावन पर कविता

sawan par kavita

सावन-सुरंगा सरस-सपन-सावन सरसाया ।तन-मन उमंग और आनंद छाया ।‘अवनि ‘ ने ओढ़ी हरियाली ,‘नभ’ रिमझिम वर्षा ले आया । पुरवाई की शीतल ठंडक ,सूर्यताप की तेजी, मंदक । पवन सरसती सुर में गाती ,सुर-सावन-मल्हार सुनाती । बागों में बहारों का मेला ,पतझड़ बाद मौसम अलबेला । ‘शिव-भोले’ की भक्ति भूषित ,कावड़ यात्रा चली प्रफुल्लित । … Read more

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उफ! ये सावन जब भी आता है

sawan par kavita

“उफ!ये सावन जब भी आता है” वो बचपन की मस्ती,वो तोतली बोली,वो बारिश का पानी,और बच्चों की टोली,वो पहिया चलाना और नाव बनाना,माँ का बुलाना और हमारा न आना,वो अनछुए पल याद दिलाता है “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।1।। लड़कपन में लड़ना और फिर मचलनादोस्तों का मनाना हमें फिर मिलानामैदान के कीचड़ में गिरना-गिरानाऔर … Read more

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