भक्ति पर कविता

भक्ति पर कविता तोरन पुष्प सजाय केउत्सव माँ के द्वार!!! गीत सुरीले गूँजते,लटके बन्दनवार!!!! नाम अनेको दे दिए,माई जग में एक!!! नामित ब्रम्हाचारिणी,कर लेंना अभिषेक!! परम सुखी परिवार होमाँग भक्ति के भीख!!! चरण धूलि माथे लगावत्स भजन ले सीख!!! –राजेश पान्डेय वत्सकविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

प्रीत के रंग में-राजेश पाण्डेय *अब्र*

प्रीत के रंग में गुनगुनाती हैं हवाएँमहमहाती हैं फ़िजाएँझूम उठता है गगन फिरखुश हुई हैं हर दिशाएँ                  प्रीत के रंग में                  मीत के संग में, रुत बदलती है यहाँ फिरफूल खिल उठते अचानकगीत बसते हैं लबों परमीत मिल जाते … Read more

है नमन देश की माटी को -राजेश पाण्डेय अब्र

है नमन देश की माटी को विश्वजीत है स्वंत तिरंगा तीन रंगों की अमृत गंगासरफ़रोश होता हर जन मन मत लेना तुम इससे पंगा, ऊर्ज समाहित सैन्य बलों में जन,  धन लेकर खड़े पलों मेंऊर्जा  का  संचार  देश  मेंप्रश्न खड़े अनुत्तरित हलों में, सबल करे नेतृत्व देश का अभिमानी हो नहीं द्वेष कावक़्त पड़े सर कलम … Read more

जीवन के दोहों का संकलन

jivan doha

जीवन के दोहों का संकलन 1- है मलीन चादर चढ़ी, अंतः चेतन अंग। समझे तब कैसे भला, हूँ मैं कौन मलंग।। 2- प्रतिसंवेदक कॄष्ण हैं, लिया पार्थ संज्ञान। साध्य विषय समझे तभी, हुआ विजय अभियान।। 3- मैं अनुनादी उम्र भर, अविचारी थे काज। जिस दिन प्रज्ञा लौ जली, समझे तब यह राज।। (मैं – अहंकार) … Read more

समर शेष है रुको नहीं

समर शेष है रुको नहीं समर शेष है रुको नहींअब करो जीत की तैयारीआने वाले भारत कीबाधाएँ होंगी खंडित सारी, राजद्रोह की बात करे जोउसे मसल कर रख देनादेश भक्ति का हो मशाल जोउसे शीश पर धर लेना, रुको नहीं तुम झुको नहींअब मानवता की है बारीसुस्त पड़े थे शीर्ष पहरुएजन मानस दण्डित सारी, कालचक्र … Read more