
पीड़ाएँ
पीड़ाएँ पिंजरा चला छोड़ कर , पंछी अनंत दूर ।यादें ही अब शेष हैं , परिजन हैं बेनूर ।। आँसू से रिश्ता घना , आँखों ने ली जोड़ ।निर्मोही क्यों हो गये , ले गये सुख निचोड़ ।।गहनें सिसक रहे…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0 रामनाथ साहू ननकी के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
पीड़ाएँ पिंजरा चला छोड़ कर , पंछी अनंत दूर ।यादें ही अब शेष हैं , परिजन हैं बेनूर ।। आँसू से रिश्ता घना , आँखों ने ली जोड़ ।निर्मोही क्यों हो गये , ले गये सुख निचोड़ ।।गहनें सिसक रहे…