असाध्य वीणा – अज्ञेय की कविता

असाध्य वीणा अज्ञेय जी की एक लम्बी कविता है। इस कविता की रचना उन्होंने सनˎ1957-58 के जापान प्रवास के बाद 18-20 जून 1961 में अल्मोड़ा के कॉटेज में 321 पंक्ति वाली यह लंबी कविता लिखी थी। यह कविता उनके काव्य संग्रह ‘आँगन के पार द्वार’ में संकलित है, जो 1961 में ही प्रकाशित हुआ था। … Read more

जो कहा नही गया / अज्ञेय

जो कहा नही गया / अज्ञेय है,अभी कुछ जो कहा नहीं गया । उठी एक किरण, धायी, क्षितिज को नाप गई,सुख की स्मिति कसक भरी,निर्धन की नैन-कोरों में काँप गई,बच्चे ने किलक भरी, माँ की वह नस-नस में व्याप गई।अधूरी हो पर सहज थी अनुभूति :मेरी लाज मुझे साज बन ढाँप गई-फिर मुझ बेसबरे से रहा … Read more

मैंने आहुति बन कर देखा / अज्ञेय

मैंने आहुति बन कर देखा / अज्ञेय मैं कब कहता हूँ जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने,मैं कब कहता हूँ जीवन-मरू नंदन-कानन का फूल बने ?काँटा कठोर है, तीखा है, उसमें उसकी मर्यादा है,मैं कब कहता हूँ वह घटकर प्रांतर का ओछा फूल बने ? मैं कब कहता हूँ मुझे युद्ध में कहीं न तीखी चोट … Read more

उधार / अज्ञेय

उधार / अज्ञेय सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थीऔर एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी। मैनें धूप से कहा: मुझे थोड़ी गरमाई दोगी उधारचिड़िया से कहा: थोड़ी मिठास उधार दोगी?मैनें घास की पत्ती से पूछा: तनिक हरियाली दोगी—तिनके की नोक-भर?शंखपुष्पी से पूछा: उजास दोगी—किरण की ओक-भर?मैने हवा से मांगा: थोड़ा खुलापन—बस एक … Read more

नंदा देवी / अज्ञेय

नंदा देवी / अज्ञेय नंदा,बीस-तीस-पचास वर्षों मेंतुम्हारी वनराजियों की लुगदी बनाकरहम उस परअखबार छाप चुके होंगेतुम्हारे सन्नाटे को चीर रहे होंगेहमारे धुँधुआते शक्तिमान ट्रक,तुम्हारे झरने-सोते सूख चुके होंगेऔर तुम्हारी नदियाँला सकेंगी केवल शस्य-भक्षी बाढ़ेंया आँतों को उमेठने वाली बीमारियाँतुम्हारा आकाश हो चुका होगाहमारे अतिस्वन विमानों केधूम-सूत्रों का गुंझर।नंदा,जल्दी ही-बीस-तीस-पचास बरसों मेंहम तुम्हारे नीचे एक मरु … Read more