जीवन रुपी रेलगाड़ी – सावित्री मिश्रा
जीवन रुपी रेलगाड़ी कभी लगता है जीवन एक खेल है,कभी लगता है जीवन एक जेल है।पर मुझे लगता है कि ये जीवनदो पटरियों पर दौड़ती रेल है।भगवान ने जीवन रुपी रेल काजितनी साँसों का टिकट दिया है,उससे आगे किसी ने सफर नहीं कियासुख और दुख जीवन की दो पटरियाँ,शरीर के अंग जीवन रुपी रेल के … Read more