जीवन के झंझावातों में श्रमिक बन जाते है

जीवन के झंझावातों में श्रमिक बन जाते है नन्ही नन्ही कोमल कायानिज स्वेद बहाते हैं।जीवन के झंझावातों में,श्रमिक  बन जाते है।हाथ खिलौने वाले  देखो,ईंटों को झेल रहे।नसीब नहीं किताबें इनकोमिट्टी…

Continue Readingजीवन के झंझावातों में श्रमिक बन जाते है

बाल मजदूरी निषेध पर कविताएँ

बाल मजदूरी निषेध पर कविताएँ: बाल-श्रम का मतलब यह है कि जिसमे कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है।

Continue Readingबाल मजदूरी निषेध पर कविताएँ

बाल मजदूर पर कविता (लावणी छंद मुक्तक)

हर साल 12 जून को विश्व दिवस बाल श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने और उनकी मदद के लिए किया जा सकता है, इसके लिए सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नागरिक…

Continue Readingबाल मजदूर पर कविता (लावणी छंद मुक्तक)