धर्मपत्नी पर कविता
धर्मपत्नी पर कविता ( विधाता छंद, २८ मात्रिक ) हमारे देश में साथी,सदा रिश्ते मचलते है।सहे रिश्ते कभी जाते,कभी रिश्ते छलकते हैं। बहुत मजबूत ये रिश्ते,मगर मजबूर भी देखे।कभी मिल जान देते थे,गमों से चूर भी देखे। करें सम्मान नारी…
धर्मपत्नी पर कविता ( विधाता छंद, २८ मात्रिक ) हमारे देश में साथी,सदा रिश्ते मचलते है।सहे रिश्ते कभी जाते,कभी रिश्ते छलकते हैं। बहुत मजबूत ये रिश्ते,मगर मजबूर भी देखे।कभी मिल जान देते थे,गमों से चूर भी देखे। करें सम्मान नारी…