अब तो मन का रावण मारें
किसी भी राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए विद्या और शक्ति दोनों देवियों की आराधना और उपासना आवश्यक है। जिस प्रकार विद्या की देवी सरस्वती है, उसी प्रकार शक्ति की…
किसी भी राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए विद्या और शक्ति दोनों देवियों की आराधना और उपासना आवश्यक है। जिस प्रकार विद्या की देवी सरस्वती है, उसी प्रकार शक्ति की…
हम तुम दोनों मिल जाएँ shadi मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुमहम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ।हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के…
धर्मपत्नी पर कविता ( विधाता छंद, २८ मात्रिक )हमारे देश में साथी,सदा रिश्ते मचलते है।सहे रिश्ते कभी जाते,कभी रिश्ते छलकते हैं।बहुत मजबूत ये रिश्ते,मगर मजबूर भी देखे।कभी मिल जान देते…
सुख-दुख की बातें बेमानी कविता संग्रह ( १६ मात्रिक )मैने तो हर पीड़ा झेली,सुख-दुख की बातें बेमानी।दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे संगाती।मै तो केवल दुख ही जानूं,प्रीत…
अब तो मेरे गाँव में गाँव पर हिंदी कविता . ( १६,१३ )अमन चैन खुशहाली बढ़ती ,अब तो मेरे गाँव में,हाय हलो गुडनाइट बोले,मोबाइल अब गाँव में।टेढ़ी ,बाँकी टूटी सड़केंधचके…
उड़ जाए यह मन (१६ मात्रिक)यह,मन पागल, पंछी जैसे,मुक्त गगन में उड़ता ऐसे।पल मे देश विदेशों विचरण,कभी रुष्ट,पल मे अभिनंदन,मुक्त गगन उड़ जाए यह मन।पल में अवध,परिक्रम करता,सरयू जल मन…
समय सतत चलता है साथी गीत(१६,१६)कठिन काल करनी कविताई!कविता संगत प्रीत मिताई!!समय सतत चलता है साथी,समय कहे मन त्याग ढ़िठाई।वक्त सगा नहीं रहा किसी का,वन वन भटके थे रघुराई।फुरसत के…
आओ सच्चेे मीत बनाएँ (१६,१६)आओ सच्चेे मीत बनाएँ,एक एक हम वृक्ष लगाएँ।बचपन में ये सुन्दर होते ,नेह स्नेह के भाव सँजोते।पालो पोषो गौरव होता।मधुर भाव हरियाली बोता।आज एक पौधा ले…
वर्षा-विरहातप (१६ मात्रिक मुक्तक )कहाँ छिपी तुम,वर्षा जाकर।चली कहाँ हो दर्श दिखाकर।तन तपता है सतत वियोगी,देखें क्रोधित हुआ दिवाकर।मेह विरह में सब दुखियारे,पपिहा चातक मोर पियारे।श्वेद अश्रु झरते नर तन…
मीत देश वंदन की ख्वाहिश धरती पर पानी जब बरसेमनभावों की नदियाँ हरषे।नमन् शहीदों को ही करलें,छोड़ो सुजन पुरानी खारिश।मीत देश वंदन की ख्वाहिश।आज नेत्र आँसू गागर है,यादें करगिल से…