मीत देश वंदन की ख्वाहिश

मीत देश वंदन की ख्वाहिश

tiranga

धरती पर पानी जब बरसे
मनभावों की नदियाँ हरषे।
नमन् शहीदों को ही करलें,
छोड़ो सुजन पुरानी खारिश।
मीत देश वंदन की ख्वाहिश।

आज नेत्र आँसू गागर है,
यादें करगिल से सागर है।
वतन हितैषी फौजी टोली,
कर्गिल घाटी नेहिल बारिश,
मीत देश वंदन की ख्वाहिश।

आतंकी हमलों को रोकें,
अंदर के घपलों को झोंके।
धर्म-कर्म अनुबंध मिटा कर,
जाति धर्म पंथांत सिफारिश,
मीत देश वंदन की ख्वाहिश।

राष्ट्र सुरक्षा करनी हमको,
भाव शराफ़त भरने सबको।
काय नज़ाकत ढंग भूलकर,
बाहों में भर लें सब साहस,
मीत देश वंदन की ख्वाहिश।
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बाबू लाल शर्मा “बौहरा *विज्ञ*

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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