मेहनत से तन सजाकर
मंजिल मिल जाए सही
पर वीर कहते यही
अभी दिल भरा नहीं ।
चल अविचल सीने तन कर
अंजाम रहे बेरंग सही
पर वीर कहते यही
अभी दिल भरा नहीं ।
तब शूर कोई इतिहास गढ़ते
हर पन्नों में उनके कारनामें रही
पर वीर कहते यही
अभी दिल भरा नहीं।
मनीभाई ‘नवरत्न’,