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इंसान को कह दो कि
तू तो शेर है
फिर देखना उनकी बाजूओं में
कितना जोर है !
गर कह दो कि
तू तो है जानवर
फिर कह उठेगा
तू तो गधा है
समझे मान्यवर !
अब जानवर मे
समझना है फर्क
इंसान होने का नाटक
करते रहो तर्क-वितर्क !
भई जानवर तो
जानवर होता है
पर नही कह सकते
सभी इंसान
इंसान भी होता है !
अब पशु भी
सभ्य-भद्र होने लगे
कथित इंसान की
इंसाननियत देख कर
वे भी रोने लगे !
मौका परस्त इंसान
मौका देख कर रंग बदलता है
और इधर ये पशु
अपना रंग बदलता है
न धर्म बदलता है
न अपनों से जलता है !
इंसान ये मूक,हिंसक पशु
शेर कहलाना गर्व समझता है
इधर मरियल सा भी कुत्ता
रामु,मोती का होना
उसे बहुत ‘अखरता’ है !
इंसान को कह दो कि
तू तो शेर है
फिर देखना उनकी बाजूओं में
कितना जोर है !
गर कह दो कि
तू तो है जानवर
फिर कह उठेगा
तू तो गधा है
समझे मान्यवर !
अब जानवर मे
समझना है फर्क
इंसान होने का नाटक
करते रहो तर्क-वितर्क !
भई जानवर तो
जानवर होता है
पर नही कह सकते
सभी इंसान
इंसान भी होता है !
अब पशु भी
सभ्य-भद्र होने लगे
कथित इंसान की
इंसाननियत देख कर
वे भी रोने लगे !
मौका परस्त इंसान
मौका देख कर रंग बदलता है
और इधर ये पशु
अपना रंग बदलता है
न धर्म बदलता है
न अपनों से जलता है !
इंसान ये मूक,हिंसक पशु
शेर कहलाना गर्व समझता है
इधर मरियल सा भी कुत्ता
रामु,मोती का होना
उसे बहुत ‘अखरता’ है !
—- *राजकुमार मसखरे*