कविता: चन्द्रयान 2 पर विशेष (डी.राज सेठिया द्वारा रचित) Poetry based on Chandrayaan 2
चन्द्रयान 2
काबिलियत है,पर मार्ग कठिन बहुत है।
हासिल कुछ नही ,पर पाया बहुत है।
हाँ नींद भी बेची थी,पर सकून बहुत पाया था।
हाँ चैन भी बेची थी,पर गर्व बहुत पाया था।।
दुआएं थी सवा सौ करोड़ लोगों की,वह क्या कम था।
इसरो मैं भी भावुक हुँ,क्योंकि मैंने भी दुआ मांगा था।।
जीवन के पथपर अल्पविराम तो आते हैं,पर पूर्ण विराम नहीँ।
अंतरिक्ष के पटल पर नाम जरूर होगा,यह कोई संसय नहीँ।।
प्रयास जरूर रंग लाएगी,तू हिम्मत मत हार।
विक्रम रुका है इसरो नहीं,तू हौसला मत हार।
डी.राज सेठिया
कोंडागांव(छ.ग.)
8770278506
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.