?? वक़्त के मारा हुआ ,मैं एक इंसान हूँ ।??
गंगाधर मनबोध गांगुली “सुलेख “
समाज सुधारक , युवा कवि
9754217202
इस दुनियाँ में यारों ,हर कोई वक़्त का मारा हुआ इंसान है । चाहे गरीब हो या अमीर ,वक़्त किसी को साथ नहीं देता । हर किसी को अपने जीवन में संघर्ष करना पढ़ता है । अगर मैं कहता हूँ कि आप वक़्त के मारे हुए इंसान हो, तो आपको
बहुत ही गलत लगेगा । इसलिए इस कविता में मैं अपना उदाहरण देकर वक़्त के मारा हुआ ,इंसान की हालत बताता हूँ ।
वक़्त के मारा हुआ ,
मैं एक इंसान हूँ ।
जिन्दगी से आज भी ,
बहुत परेशान हूँ ।।01।।
वक़्त ने मुझे ऐसे मारा ,
गिनने लगा आसमान का तारा ।
वक़्त ने मुझे साथ न दिया ,
हो गया हूँ एक आवारा ।।02।।
आप लोगों की तरह सोचा था मैं भी ,
कुछ करके दिखाऊँगा ।
इस दुनियाँ में मैं भी ,
कुछ बनके दिखाऊँगा ।।03।।
मेहनत मैंने भी किया ,
लेकिन ,वक़्त ने मुझे साथ न दिया ।
मैं कुछ पल के लिए हर गया ,
लेकिन वक़्त जीत गया ।।04।।
मेहनत करके भी मैंने ,
बहुत कुछ खोया है ।
जिस दिन मेरी हार हुई ,
उस दिन बहुत रोया है ।।05।।
लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है आज भी…..
एक दिन ऐसा आएगा,
वक़्त भी हार जाएगा ।
आज का मेरा मेहनत मुझे,
मंजिल तक पहुँचायेगा ।।06।।
उस दिन का इंतजार है ,
कहीं देर न हो जाये ।
मेरे जीवन में हमेशा के लिए,
कहीं अँधेर न हो जाये ।।07।।
वक़्त ऐसा आएगा ,
परिवर्तन साथ में लाएगा ।
न जाने कितने लोग हैं ,इस दुनियाँ में मेरी तरह,उन सभी दोस्तों से मैं यही कहूँगा ।
वक़्त ऐसा आएगा ,
परिवर्तन साथ में लाएगा ।।
वक़्त के मारा हुआ इंसान भी,
एक नया जिन्दगी पाएगा। ।।08।।
हर किसी के जीवन में…..
एक दिन ऐसा आएगा,
वक़्त भी ठहर जाएगा ।
जो जैसा कर्म करेगा,
वह वैसा फल पाएगा ।।09।।
06
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गंगाधर मनबोध गांगुली “सुलेख “
