सड़कों का जाल बिछाएँ
कृषि जमीन काट कर
हम विकास बताएँ…………..
चलो…….. !
बड़े बड़े नहर सजाते रहें
रास्ते मे आये घने पेड़ को
काट,आरा मिल ले जाएँ…….
चलो………..!
समृद्धि के लिये भारीभरकम
कारखाना,चिमनी लगा कर
प्रदूषित जल नदी मे बहाएँ….
चलो…………!
फसल के उपर फसल हो
मृत मृत हो मृदा फिर भी
रसायनों का उपयोग कराएँ…
चलो…………!
जगह जगह हो मदिरालय
कैसिनों हो या हुक्का बार
हर गाँव गाँव लगवाएँ……….
चलो…………!
नलकूपों का हो भरमार
पानी है आज सरल लगा
चाहे कुएँ,तालाब सूख जाएं…
चलो……………!
जगमग बिजली,डी.जे.धुन
ग्लोबल वार्मिंग को भूल कर
थिरक थिरक नाच कर जाएँ..
चलो विकास दिखाएँ !
कृषि जमीन काट कर
हम विकास बताएँ…………..
चलो…….. !
बड़े बड़े नहर सजाते रहें
रास्ते मे आये घने पेड़ को
काट,आरा मिल ले जाएँ…….
चलो………..!
समृद्धि के लिये भारीभरकम
कारखाना,चिमनी लगा कर
प्रदूषित जल नदी मे बहाएँ….
चलो…………!
फसल के उपर फसल हो
मृत मृत हो मृदा फिर भी
रसायनों का उपयोग कराएँ…
चलो…………!
जगह जगह हो मदिरालय
कैसिनों हो या हुक्का बार
हर गाँव गाँव लगवाएँ……….
चलो…………!
नलकूपों का हो भरमार
पानी है आज सरल लगा
चाहे कुएँ,तालाब सूख जाएं…
चलो……………!
जगमग बिजली,डी.जे.धुन
ग्लोबल वार्मिंग को भूल कर
थिरक थिरक नाच कर जाएँ..
चलो विकास दिखाएँ !
— *राजकुमार मसखरे*
——————————
सड़कों का जाल बिछाएँ
कृषि जमीन काट कर
हम विकास बताएँ…………..
चलो…….. !
बड़े बड़े नहर सजाते रहें
रास्ते मे आये घने पेड़ को
काट,आरा मिल ले जाएँ…….
चलो………..!
समृद्धि के लिये भारीभरकम
कारखाना,चिमनी लगा कर
प्रदूषित जल नदी मे बहाएँ….
चलो…………!
फसल के उपर फसल हो
मृत मृत हो मृदा फिर भी
रसायनों का उपयोग कराएँ…
चलो…………!
जगह जगह हो मदिरालय
कैसिनों हो या हुक्का बार
हर गाँव गाँव लगवाएँ……….
चलो…………!
नलकूपों का हो भरमार
पानी है आज सरल लगा
चाहे कुएँ,तालाब सूख जाएं…
चलो……………!
जगमग बिजली,डी.जे.धुन
ग्लोबल वार्मिंग को भूल कर
थिरक थिरक नाच कर जाएँ..
चलो विकास दिखाएँ !
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सड़कों का जाल बिछाएँ
कृषि जमीन काट कर
हम विकास बताएँ…………..
चलो…….. !
बड़े बड़े नहर सजाते रहें
रास्ते मे आये घने पेड़ को
काट,आरा मिल ले जाएँ…….
चलो………..!
समृद्धि के लिये भारीभरकम
कारखाना,चिमनी लगा कर
प्रदूषित जल नदी मे बहाएँ….
चलो…………!
फसल के उपर फसल हो
मृत मृत हो मृदा फिर भी
रसायनों का उपयोग कराएँ…
चलो…………!
जगह जगह हो मदिरालय
कैसिनों हो या हुक्का बार
हर गाँव गाँव लगवाएँ……….
चलो…………!
नलकूपों का हो भरमार
पानी है आज सरल लगा
चाहे कुएँ,तालाब सूख जाएं…
चलो……………!
जगमग बिजली,डी.जे.धुन
ग्लोबल वार्मिंग को भूल कर
थिरक थिरक नाच कर जाएँ..
चलो विकास दिखाएँ !
— *राजकुमार मसखरे*