“मेरे आँसू”
मेरे आँसू
पारिजात के फूलो की तरह
खूबसूरत और नाजुक
जो टपकते है सारी रात
अनवरत लगातार
भोर होते ही छा जाते है
होठों पर मुस्कान बनकर
बिछ जाती है मनमोहक
सिंदूरी चादर की तरह
मेरे होठों पर
और समेट लेती है पूरे दिन की
जिम्मेदारियों को अपने अंदर
बिना थके बिना रुके
अनवरत खिली खिली मुस्कान
शाम ढले देर रात
फिर खिलते है फूल पारिजात के
खूबसूरत और नाजुक
जो टपकते है सारी रात
अनवरत लगातार……
विजिया गुप्ता “समिधा”
दुर्ग छत्तीसगढ़
मो.न. – 9617661017
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