बाल कविता-स्लेट बत्ती
स्लेट बत्ती का जानो मोल
लकीर बना लो या फिर गोल
क ख ग घ लिखना हो या गिनती
पढ़ने को सब करते विनती
बत्ती को घिस घिस कर देखें
टूटे जब जब उसको फेंके
पानी को हाथों में लेते
गलत लिखते ही मिटा देते
स्लेट बत्ती से हो शुरुवात
लिखते पढ़ते रहें दिन रात
राजकिशोर धिरही
तिलई,जांजगीर
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