रंगो में तु रंग मिलाकर
रंगीन हो जा स्वयं को रंगकर
आग लगाओं क्रोध को
भस्म कर दो मोह को
छोड़ के बेरंग दुनिया को
आनंद में रंग दो तन मन को
रंगो में तु रंग मिलाकर
रंगीन हो जा स्वयं को रंगकर
खुशीयो का रंग चडाकर
दुखो का चोला छोड़कर
उल्लास में स्वयं भिगकर
हर्षित कर दो जन जन को
रंगो में तु रंग मिलाकर
रंगीन हो जा स्वयं को रंगकर
स्वभाव कर लो अमृतमयी
बैराग चोड़कर दूर कही
हर जीव्हा को मिष्ठान से भरकर
आशीष बर्डे(khumen)