मेरा गाँव – एस के नीरज

*मेरा गाँव*

गाँव पर हिंदी कविता


तपती दुपहरी
सूनी सड़कें
पेड़ की छाँव
याद आया गाँव
गाँव की गलियाँ
पनघट पर पानी
भरती वो छोरियाँ
लड़कों की टोली
तालाब में लोटते
भैंसों की पीठ पर
करते हुए सवारी
कागज की वो नाँव
वाह मेरा गाँव
याद आता है ….!

सील बट्टे पर पिसा
धनिया की चटनी
चूल्हे का खाना
सुराही का पानी
अल्हड़ नादानी
नानी की कहानी
तारों भरी छाँव
वाह मेरा गाँव
याद आता है …!

चौपाल की बैठकें
कीर्तन और भजन
सबके सब मगन
मुन्नी हो या शीला
सब देखें रामलीला
दिन हो या रात
शादी की बारात
चंपक और चंदामामा
कॉमिक्स का खजाना
याद आया वो गीत
मेरा गाँव मेरा देश
याद आता है ….!

एस के नीरज
पिथौरा ( ३६ – गढ़ )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *