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2 दिसम्बर दासता उन्मूलन दिवस पर लेख

2 दिसम्बर दासता उन्मूलन दिवस

जिन्दगी में बड़ी कलंक होती है , जिसे लोग कहते हैं दासता ।
सम्मान खो जाती है सारे, और बंद हो जाते उन्नति के रास्ता I

मनीभाई”नवरत्न” की कलम से

दासता मनुष्य की बेबसी की स्थिति है ।जिससे वह अपनी स्वतंत्रता का अधिकार खो देता है । ऐसी परतंत्रता में मनुष्य दूसरों की हुकूमत पर कठपुतली की तरह नाचता रहता है। ऐसी दासता से मनुष्य की सारी आकांक्षाएं, क्षमताएं ,उल्लास और लक्ष्य दफन हो जाते हैं । तथा वह पशुवत अपनी मालिक की हुक्म पर चलता रहता है ।


दासता उन्मूलन दिवस मानव स्वतंत्रता के प्रति जन जागरण अभियान है । मनुष्य स्वतंत्र पैदा होता है तो फिर दास कैसे बन जाता है ? किसी भी मानव की स्वतंत्रता की गरिमा उसका मानव अधिकार है , फिर बंधुआ मजदूर, दास और औरतों को दासी समझना जबरन मजदूरी यह दासता ही तो है।

दासता उन्मूलन दिवस मनुष्य को गरिमामय जीवन की कसौटी पर तौलता है । और बंधुआ मजदूर घर और दुकानों में बाल मजदूरों तथा स्त्रियों के शोषण एवं यौन उत्पीड़न के खिलाफ सवाल उठाता है ।


अमेरिका में दास प्रथा अब्राहम लिंकन द्वारा समाप्त कर दी गई थी । उसके बाद दासता उन्मूलन के लिए के नियम कानून बनाए गए। दासता शब्द समाज के लिए एक कलंक है।

मानवाधिकार के कार्यकर्ताओं ने दासता को समाज से उखाड़ फेंकने का बीड़ा उठाया है । ताकि एक समान समाज की स्थापना हो सके दासता उन्मूलन के लिए सिर्फ नियम और कानून ही काफी नहीं है । इसके लिए नवयुवकों को सामने आना होगा । और गरीबों को रोजगार मुहैया कराना होगा क्योंकि गरीबी मनुष्य की ऐसी स्थिति है कि वह उसे कुछ भी करने को मजबूर कर देती है ।

शिक्षा और रोजगार द्वारा दासता का उन्मूलन किया जा सकता है।  अगर शोषित जनता शोषण करने वालों के खिलाफ विरोध दर्ज करने की हिम्मत रखें तो वह दिन दूर नहीं जब समतामूलक समाज की स्थापना होगी । जहां न दास होंगे और ना मालिक । सभी अपने लिए स्वतंत्र होंगे।

अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस संबंधित तथ्य

  • 2 दिसंबर, 1949 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने व्यक्तियों की तस्करी और वेश्यावृत्ति के शोषण को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय स्वीकार किया था।
  • पहली बार यह दिवस 2 दिसंबर, 1986 को मनाया गया था।
  • उद्देश्य- दासता के समकाल़ीन स्वरूपों जैसे- व्यक्तियों की तस्करी, यौन शोषण, बालश्रम के सबसे खराब तरीके, जबरन शादी, सशस्त्र संघर्ष में इस्तेमाल के लिए बच्चों की जबरन भर्ती का उन्मूलन करना।
  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, अनुमानित 40.3 मिलियन लोग आधुनिक दासता में हैं।
  • जिसमें जबरन श्रम में 24.9 मिलियन और जबरन शादी में 15.4 मिलियन लोग शामिल हैं।
  • विश्व में प्रति 1000 लोगों पर 5.4 आधुनिक दासता पीड़ित हैं।
  • आधुनिक दासता के पीड़ित 4 में से 1 बच्चे हैं।

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