दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया

दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया दर्द कागज़ पर बिखरता चला गयारिश्तों की तपिश से झुलसता चला गयाअपनों और बेगानों में उलझता चला गयादर्द कागज़ पर बिखरता चला गया कुछ अपने भी ऐसे थे जो बेगाने हो गए थेसामने फूल और पीछे खंजर लिए खड़े थेमै उनमें खुद को ढूंढता चला गयादर्द कागज़ पर बिखरता … Read more

आधुनिक शिक्षा पर कविता

आधुनिक शिक्षा पर कविता                             सिसक-सिसक कर रोती है बचपन !  आधुनिक शिक्षा की बोझ ढोती है बचपन!!          पढ़ाई की इस अंधाधुंध दौर में ,बचपन ना खिलखिलाता अब भोर में सुबह से लेकर शाम तक,  पढ़ते-पढ़ते जाते हैं थक ,  खिलने से पहले मुरझा … Read more

नारी पर आधारित कविता

नारी पर आधारित कविता नारी जगत का सार     नारी सृष्टि काआधार         जननी वो कहलाती              मान उसे दीजिये।।             ???नारी ईश्वर का रूप     उसकी शक्ति अनूप         देती है सबको प्यार              उसे खुश कीजिये।।  … Read more

ताजमहल पर कविता -शशिकला कठोलिया

ताजमहल पर कविता मौत भी मिटा नहीं सकी ,मन में रहे यादें हर पल ,भारत के आगरा में बना ,भव्य आकर्षक ताजमहल । फैली है इसकी खूबसूरती ,देख सकते जहां तक ,सात आश्चर्य में से एक ,सुंदरता इसकी है आकर्षक,                           विस्तृत क्षेत्र में … Read more

माधुरी मंजरी- हिंदी काव्य

सेवा पर कविता सेवा वंचित मत रहो,तन मन दीजे झोकसेवा मे सुख पाइए,नहीं लगाओ रोक ।।1।। जो सेवा संपन्न है ,देव अंश तू जान ।इनके दर्शन मात्र से ,मिलते कई निदान ।।2।। सेवा का व्यापार कर ,बनते आज अमीर ।पीड़ित जन सब मूक हैंसाहब तुम बेपीर ।।3।। सेवा कुर्बानी चहैकरे अहं का नाश ।सो अपनाये … Read more