Month February 2020

हारे जीत पर दोहे

हारे जीत पर दोहे पीर जलाए आज विरह फिर,बनती रीत!लम्बी विकट रात बिन नींदे, पुरवा शीत! लगता जैसे बीत गया युग, प्यार किये!जीर्ण वसन हो बटन टूटते, कौन सिँए!मिलन नहीं भूले से अब तो, बिछुड़े मीत!पीर जलाए आज विरह फिर,…

प्रीत की बाजी पर कविता

प्रीत की बाजी पर कविता कल्पना यह कल्पना है,आपके बिन सब अधूरी।गया भूल भी मधुशाला,वह गुलाबी मद सरूरी। सो रही है भोर अब यह,जागरण हर यामिनी को।प्रीत की ठग रीत बदली,ठग रही है स्वामिनी को।दोष देना दोष है अब,प्रीत की…

राज दरबारी पर कविता

राज दरबारी वो हैं बड़े लेखकनवाजा जाता है उन्हेंखिताबों सेदी जाती हैसरकार द्वारा सुविधाएंनाना प्रकार कीबदले मेंमिलाते हैं वे कदम-तालसरकार सेकर रहे हैं निर्वहनराज-दरबारियों कीपरम्परा काउनकी लेखनी नेमोड़ लिया मुंहआमजन की वेदना सेहो गए बेमुख संवेदना सेचंद राजकीयरियायतों के लिए…

सदमा पर लघु कथा

सदमा पर लघु कथा दो महीने हो गये। शांति देवी की हालत में कुछ भी सुधार ना हुआ। पुरुषोत्तम बाबू को उनके मित्रों और रिश्तेदारों ने सुझाव दिया कि एक बार अपनी पत्नी को मनोचिकित्सक से दिखवा लें। पुरुषोत्तम बाबू…

शिव-शक्ति पर कविता

प्रस्तुत कविता शिव शक्ति पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

सरहद पर कविता-विनोद सिल्ला

सरहद पर कविता सरहदों परव्याप्त हैभयावह चुप्पीकी जा रही हैचुपचाप निगहबानीकी जाती हैं बाड़बंधीनियन्त्रित करने कोइंसानों कोइंसानों की आवा-जाही कोकहा जाता हैकी जा रही है सुरक्षास्वतंत्रता कीसंप्रभुता कीसरहद नहीं होती प्रतीतस्वतन्त्रता की परिचायकसरहद तोकरती है नियंत्रितइंसानों कोउनकी स्वतंत्रता को Post…

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होलिका दहन पर कविता-प्रवीण त्रिपाठी

होलिका दहन पर कविता मधुमासी ऋतु परम सुहानी, बनी सकल ऋतुओं की रानी।ऊर्जित जड़-चेतन को करती, प्राण वायु तन-मन में भरती।कमल सरोवर सकल सुहाते, नव पल्लव तरुओं पर भाते।पीली सरसों ले अंगड़ाई, पीत बसन की शोभा छाई। वन-उपवन सब लगे…

साथ-साथ पर कविता- रामनाथ साहू ननकी

साथ-साथ पर कविता सम्मुख यूँ बैठो रहो ,जीवन जाये बीत ।मुक्त भाव से गा सकें ,सिर्फ प्यार के गीत ।।सिर्फ प्यार के गीत ,गढ़ें हम गीत वफा के ।मानस अंकित चित्र ,चले हम इसी अदा से ।।कह ननकी कवि तुच्छ…

शिवरात्रि पर कविता-कन्हैया लाल श्रीवास

प्रस्तुत कविता शिवरात्रि पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

कुण्डलिया शतकवीर- बाबूलाल शर्मा

कुण्डलिया शतकवीर – बाबूलाल शर्मा १. *वेणी* मिलती संगम में सरित, कहें त्रिवेणी धाम!तीन भाग कर गूँथ लें, कुंतल वेणी बाम!कुंतल वेणी बाम, सजाए नारि सयानी!नागिन सी लहराय, देख मन चले जवानी!कहे लाल कविराय, नारि इठलाती चलती!कटि पर वेणी साज,…