Month February 2020

हिमालय पर कविता

हिमालय पर कविता नेपाल, चीन सीमा पर स्थित,हिमालय पर्वत की चोटी।गंगा यही से निकलती है,पत्थरों के साथ बहती है।हिमालय को पर्वत राज,नाम से जाना जाता है।पर्वतों का राजा माउंट एवरेस्ट,सबसे ज्यादा ऊंची चोटी है।हिमालय पर्वत की ऊंची चोटी,मीटर मे है…

ओजोन परत

पर्यावरण संरक्षण पर कविता

पर्यावरण संरक्षण पर कविता दूषित हुई हवावतन कीकट गए पेड़सद्भाव केबह गई नैतिकतामृदा अपर्दन मेंहो गईं खोखली जड़ेंइंसानियत कीघट रही समानताओजोन परत की तरहदिलों की सरिताहो गई दूषितमिल गया इसमेंस्वार्थपरता का दूषित जलसांप्रदायिक दुर्गंध नेविषैली कर दी हवाआज पर्यावरणसंरक्षण कीसख्त…

बिखराव पर कविता

बिखराव पर कविता नफरतों नेबढ़ा दी दूरियांइंसान-इंसान के बीच बांट दिया इंसानकितने टुकड़ों मेंस्त्री-पुरुषअगड़ा-पिझड़ाअमीर-गरीबनौकर-मालिकछूत-अछूतश्वेत-अश्वेतस्वर्ण-अवर्णधर्म-मजहब मेंखंड-खंड हो गया इंसाननित बढ़ता हीजा रहा है बिखराव -विनोद सिल्ला© Post Views: 46

किसान खेत जोतते हुए

किसान की दशा पर कविता

किसान की दशा पर कविता देख तोर किसान के हालका होगे भगवान !कि मुड़ धर रोवए किसान,ये का दुख दे भगवान !! पर के जिनगी बड़ सवारें,अपन नई थोरको फिकर जी !बजर दुख उठाये तन म,लोहा बरोबर जिगर जी !!पंगपंगावत…

हनुमत वंदना

हनुमत वंदना राम नाम जाप कर, चित्त निज साफ कर,पवनसुत ध्यान धर,प्रभु को पुकारिये।भेद भाव भूल कर, क्रोध अहं नाश कर,बजरंगी शरण जा, जीवन सुधारिये।।राम भक्त हनुमान, करें नित्य गुणगानमंगल को पूज कर, जीवन सँवारिये।लाल देह सर्व प्रिय,सियाराम बसें हियलडुअन…

संस्कारों पर कविता

संस्कारों पर कविता बीज रोप दे बंजर में कुछ,यूँ कोई होंश नहीं खोता।जन्म जात बातें जन सीखे,वस्त्र कुल्हाड़ी से कब धोता। संस्कृति अपनी गौरवशाली,संस्कारों की करते खेती।क्यों हम उनकी नकल उतारें,जिनकी संस्कृति अभी पिछेती।जब जब अपने फसल पकी थी,पश्चिम रहा…

कवि निमंत्रण पर कविता

कवि निमंत्रण पर कविता मित्रों तुम आनाआज मेरी कविता पाठ है कविता पाठ के बादतुम्हारे आने-जाने का खर्चा दूँगा शाम को पार्टी होगीमिलकर जश्न मनाएंगेजैसे हर बार मनाते हैं बस एक गुज़ारिश हैमहफ़िल मेंजब मैं कविता पढूँगामेरी हर पंक्तियों के बादतुम…

अप्सरा पर कविता

अप्सरा पर कविता बादलो ने ली अंगड़ाई,खिलखलाई यह धरा भी!हर्षित हुए भू देव सारे,कसमसाई अप्सरा भी! कृषक खेत हल जोत सुधारे,बैल संग हल से यारी !गर्म जेठ का महिना तपता,विकल जीव जीवन भारी!सरवर नदियाँ बाँध रिक्त जल,बचा न अब नीर…

शिव भक्ति गीत -बाबूलाल शर्मा

शिव भक्ति गीत -बाबूलाल शर्मा प्रस्तुत कविता शिव भक्ति गीत आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

पत्थर दिल पर कविता

पत्थर दिल पर कविता लता लता को खाना चाहे,कली कली को निँगले!शिक्षा के उत्तम स्वर फूटे,जो रागों को निँगले! सत्य बिके नित चौराहे पर,गिरवी आस रखी हैदूध दही घी डिब्बा बंदी,मदिरा खुली रखी है!विश्वासों की हत्या होती,पत्थर दिल कब पिघले!लता…