नानक पर कविता -अलामा मुहम्मद इकबाल
नानक पर कविता-अलामा मुहम्मद इकबाल कौम ने पैग़ामे गौतम की ज़रा परवाह न कीकदर पहचानी न अपने गौहरे यक दाना की आह ! बदकिसमत रहे आवाज़े हक से बेख़बरग़ाफ़िल अपने फल की शीरीनी से होता है शजर आशकार उसने कीया…
नानक पर कविता-अलामा मुहम्मद इकबाल कौम ने पैग़ामे गौतम की ज़रा परवाह न कीकदर पहचानी न अपने गौहरे यक दाना की आह ! बदकिसमत रहे आवाज़े हक से बेख़बरग़ाफ़िल अपने फल की शीरीनी से होता है शजर आशकार उसने कीया…
गुरू नानक शाह-नज़ीर अकबराबादी हैं कहते नानक शाह जिन्हें वह पूरे हैं आगाह गुरू ।वह कामिल रहबर जग में हैं यूँ रौशन जैसे माह गुरू ।मक़्सूद मुराद, उम्मीद सभी, बर लाते हैं दिलख़्वाह गुरू ।नित लुत्फ़ो करम से करते हैं…
गुरु नानक-मैथिलीशरण गुप्त मिल सकता है किसी जाति कोआत्मबोध से ही चैतन्य ;नानक-सा उद्बोधक पाकरहुआ पंचनद पुनरपि धन्य ।साधे सिख गुरुओं ने अपनेदोनों लोक सहज-सज्ञान;वर्त्तमान के साथ सुधी जनकरते हैं भावी का ध्यान ।हुआ उचित ही वेदीकुल मेंप्रथम प्रतिष्टित गुरु…
गुरु नानक देव जी (१५ अप्रैल १४६९–२२ सितम्बर १५३९) सिख धर्म के संस्थापक थे । उनका जन्म राय भोइ की तलवंडी (ननकाना साहब) में हुआ, जो कि पाकिस्तान के शेखूपुरे जिले में है । उन के पिता मेहता कल्याण दास बेदी (मेहता कालू) और माता तृप्ता जी थे । उनकी बड़ी बहन बीबी नानकी जी थे । उनका विवाह माता सुलक्खनी जी के साथ हुआ । उनके दो पुत्र बाबा श्री चंद जी और बाबा लखमी दास जी थे । १५०४ में वह बीबी नानकी जी के साथ सुलतान पुर लोधी चले गए, जहाँ उन्होंने कुछ देर नवाब दौलत खान लोधी के मोदीखाने में नौकरी की । उन्होंने भारत समेत दुनिया के कई देशों की चार लम्बी यात्राएं (उदासियाँ) भी कीं । उन्होंने कुल ९४७ शब्दों की रचना की । उन की प्रमुख रचनायें जपु(जी साहब), सिध गोसटि, आसा दी वार, दखनी ओअंकार आदि हैं।
गुरु नानक जयंती पर बधाई सन्देश
जय जय गुरु नानक प्यारे जय जय गुरु नानक प्यारे ।जय जय गुरु नानक प्यारे ॥तुम प्रगटे तो हुआ उजालादूर हुए अँधियारे ॥जय जय गुरु नानक प्यारे ॥ जगत झूठ है सच है ईश्वरतुमने ही बतलाया ।वेद पुरान कुरान सभी…
कंप्यूटर सुरक्षा का दिवस कंप्यूटर की सुरक्षा , होती है राष्ट्र की उन्नति । थोड़े से लापरवाही में, देखो हो जाये ना क्षति । कर रही आगाह ,कंप्यूटर सुरक्षा का दिवस । आज मानव को बड़े खतरे, जो होते वायरस…
स्वच्छ भारत➖➖➖➖➖रचनाकार- महदीप जंघेलविधा- गीत (स्वच्छता गीत) स्वच्छता की ज्योति जलाना है।भारत को स्वच्छ बनाना है।।सब लोगो को समझाना है।भारत को स्वच्छ बनाना है।। शौच खुले में न जाओ ,गन्दगी कहीं न फैलाओ।जो भी खुले में जाता है,कई बीमारियों को…
तुम हो आकाश,मैं हूं धरती नज़र उठा कर सभी ने देखा तुम्हेऔर हमेशा सेसभी ने रौंदा मुझे मिलना चाहा जब-जब तुमनेमिले तुम तब-तब मुझसे कभी बारिश बन करकभी आंधी बन करकभी चांदनीतो कभी धूप बन करमगर मैं रही वहीँ हमेशा…
सच बताना सच बतानाबातें न बनानान मुंह चिढ़ानाऔर हाँ!मुझे नहीं पसंद तुम्हारा गिडगिडाना कि मेरे मरने के बादतुम्हे मेरी सदा भी आएगीकौन सी बात तुम्हे रुलाएगी मुझे पता हैमेरे मरने के बाद भीमैं थोडा बनी रहूंगी जैसे रह जाती हैखंडहर…