मन भँवरा नर देह
मन भँवरा नर देह भोर कुहासा शीत ऋतुतैर रहे घन मेह।बगिया समझे आपदावन तरु समझे नेह।।.तृषित पपीहा जेठ मेंकरे मेह हित शोरपावस समझे आपदाकोयल कामी चोर करे फूल से नेह वहमन भँवराँ नर देह।भोर……………..।।.ऋतु बासंती आपदासावन सिमटे नैनविरहा तन मन…
मन भँवरा नर देह भोर कुहासा शीत ऋतुतैर रहे घन मेह।बगिया समझे आपदावन तरु समझे नेह।।.तृषित पपीहा जेठ मेंकरे मेह हित शोरपावस समझे आपदाकोयल कामी चोर करे फूल से नेह वहमन भँवराँ नर देह।भोर……………..।।.ऋतु बासंती आपदासावन सिमटे नैनविरहा तन मन…
नन्हा मुन्ना करे सिफारिश( १६ मात्रिक ) मैं इधर खड़ा,तुम उधर खड़े।सब अपने स्वारथ किधर अड़े।भावि सुरक्षक बनूँ वतन का,नन्हा मुन्ना करे सिफारिश,आज नमन की है ख्वाहिश। वतन आपका मेरा भी है,निज हित चाहे,उनका भी है।नही करे जो बात वतन…
प्रीतम पाती प्रेमरस ( दोहा-छंद) पावन पुन्य पुनीत पल, प्रणय प्रीत प्रतिपाल।जन्मदिवस शुभ आपका, प्रियतम प्राणाधार।.प्रिय पत्नी प्रण पालती, प्राणनाथ पतिसंग।जन्मदिवस जुग जुग जपूँ, रहे सुहाग अभंग।।.प्रियतम पाती प्रेमरस, पाइ पठाई पंथ।जागत जोहू जन्मदिन, जगत जनाऊँ कंत।।.जनमे जग जो जानिए,…
यह कविता राखी त्यौहार पर आधारित है।
खेल समाज को स्वस्थ बनाने के साथ साथ मित्रता से रहना भी सिखलाते हैं। खेल से बच्चों में सामाजिकता का विकास होता है।
देश की वर्तमान स्थिति का चित्रण
महिलाओं को सही राह मिले तो वे सफलता का आकाश चूम सकती हैं.
हिन्दी के नवांकुर लेखक डा. आनंद कश्यप का प्रथम उपन्यास " गांधी चौक " केवल एक कहानी नहीं है. बल्कि छत्तीसगढ़ के संघर्षरत युवाओं की यथास्थिति का यथार्थ चित्रण है. चूंकि लेखक स्वयं एक प्रतियोगी हैं, तो उपन्यास में उन्होंने भावों के साथ अपनी आत्मा भी पिरो दी है.
नारी सौंदर्य - एक काव्य दृष्टि में
पिछड़ा वर्ग के संबंध नये कानून के संदर्भ में आयोजित संसद के सत्र में महिला सांसदों के साथ बदसलूकी की गई है.