बाल मजदूर पर कविता (लावणी छंद मुक्तक)

बाल मजदूरी

बाल मजदूर पर कविता (लावणी छंद मुक्तक) राज, समाज, परायों अपनों, के कर्मो के मारे हैं!घर परिवार से हुये किनारे, फिरते मारे मारे हैं!पेट की आग बुझाने निकले, देखो तो ये दीवाने!बाल भ्रमित मजदूर बेचारे,हार हारकर नित हारे!__यह भाग्य दोष या कर्म लिखे,. ऐसी कोई बात नहीं!यह विधना की दी गई हमको,कोई नव सौगात नहीं!मानव … Read more

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बाल भिक्षु पर कविता

bal bhikchhu

दर्द न जाने कोय….. बाल भिक्षु पर कविता(विधाता छंद मुक्तक) झुकी पलकें निहारें ये,रुपैये को प्रदाता को।जुबानें बन्द दोनो की,करें यों याद माता को। अनाथों ने, भिखारी नें,तुम्हारा क्या बिगाड़ा है,दया आती नहीं देखो,निठुर देवों विधाता को। बना लाचार जीवन को,अकेला छोड़ कर इनको।गये माँ बाप जाने क्यों,गरीबी खा गई जिनको। सुने अब कौन जो … Read more

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आओ खेल खेलें- दीपा कुशवाहा

kavita

“आओ खेल खेलें” एक कदम बढ़ाओ जोश दिखाओछुपे अपने प्रतिभाओं को होश में लाओजिम्मेदारियों की चादर में ढक गईअपनी खेल जिज्ञासा को जगाओमजबूती की ढाल पकड़कर तुमनई उम्मीदों को सजाओभूले बिसरे दोस्तों को बुलाओजिंदगी में थोड़ा आनंद लाओपरिवार के साथ मिलकर भीचलो थोड़ा खेल को सजाओंविलय होते बीमारियों से अनमोल जीवन को बचाओबचपन को याद … Read more

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आओ खेलें खेल- वर्तिका दुबे

आओ खेलें खेल- वर्तिका दुबे आओ खेले खेल भइया आओ खेले खेल। खेल खेल में हो जाता है संस्कृतियों का मेल। खेल में होता दिमाग चुस्त शरीर स्वस्थ निरोगी। जीवन में आए संयम अनुशासन मन बन जाए योगी। आओ खेलें खेल – – – – – – – – अपनी दिनचर्या में हम खेलों को … Read more

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काश मेरा भी भाई होता !! रक्षाबंधन पर कविता

कविता संग्रह

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ ।। रक्षाबंधन पर बहन के तरफ से भाई के लिए प्रेम भावना प्रकट किया है ।।

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आओ खेल खेलें-रिंकीकाशी नरेश यादव

kavita

आओ खेल खेलें आओ जीवन के सतरंगी खेल खेले, अपनी कला को प्रदर्शित करें । चलो खुद मे एक विश्वास लाए, आओ हम एक खेल खेले । है नहीं हारने की चाहत ,ओैर नहीं है जीतने की उम्मीद ।बस खेल में डूब जाने का मन,आओ खेल खेले एक ऐसा । अस्तव्यस्त है बिन खेल जिंदगी … Read more

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आओ मेरे श्याम -बिसेन कुमार यादव ‘बिसु’

आओ मेरे श्याम -बिसेन कुमार यादव ‘बिसु’ जन्माष्टमी महोत्सव पर कविता गोपियों के संग रास रचैया तुम हो मेरे किशन कन्हैया।तेरे आराधक तुम्हें बुला रही है,चले आओ मेरे साॅंवरिया।। मीरा के प्रभु गिरधर नागर।राधा के तुम हो मुरलीधर।। मेरे लिए तो तुम श्रीराम हो।और तुम ही मेरे घनश्याम हो।। इस प्यासी नयन की प्यास बुझाने … Read more

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छत्तीसगढ़ के बघवा बैरिस्टर छेदीलाल ठाकुर

छत्तीसगाढ़ी रचना

बैरिस्टर छेदीलाल ठाकुर की जयंती गणेश चतुर्थी पर विशेष

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चलो चले खेल खेलें

खेल खेलना हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है । खेल खेलने से हमारा स्वस्थ भी ठीक रहता है और शरीर में भी फूर्ती रहती है ।

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