संविधान दिवस पर कविता

संविधान दिवस पर कविता हांमैं सेकुलर हूँसमता का समर्थक हूँमैं संविधान प्रस्त हूँसेकुलर होना गुनाह नहीं गुनाह हैसांप्रदायिक होनागुनाह हैजातिवादी होनागुनाह हैपितृसत्ता कासमर्थक होनागुनाह हैभाषावादी होनागुनाह हैक्षेत्रवादी होनागुनाह हैभेदभाव कापोषक होना। -विनोद सिल्ला©

मैं सो जाऊं – बाल कविता

बाल गीत प्यारे प्यारे सपनों की दुनिया में, मैं खो जाऊं।चंदन के पलने में मुझे झुलाओ, मैं सो जाऊं। ममता का आंचल ओढ़ कर, तेरा राजा बेटा,सुकून भरी नींद में मुझे सुलाओ, मैं सो जाऊं। परियों की दुनिया की सैर, करनी है सपने में,चंदा तारे सब मुझे खिलाएं, मैं सो जाऊं। मम्मी मेरी सबसे प्यारी, … Read more

विश्व मानवाधिकार दिवस पर कविता

विश्व मानवाधिकार दिवस पर कविता

विश्व मानवाधिकार दिवस पर कविता मिले कई अधिकार, जीवधारी को जग में|कुछ हैं ईश प्रदत्त, बने उपयोगी पग में |जीने का अधिकार, जगत में सबने पाया |भोजन पानी संग, भ्रमण का हक दिलवाया |अपने मन का नृप बने, जीव सभी इनसंसार में |अधिकारों का कर हनन, मस्त रहे व्यवहार में || अधिकारों कीइन 5 बात, … Read more

तितली पर बाल कविता

तितली पर बाल कविता

तितली पर बाल कविता नीली पीली काली तितली।सुंदर पंखों वाली तितली।। आए-जाए फूलों पर ये,घूमे डाली-डाली तितली।। कुदरत ने कितने रंग भरे,लाड-चाव से पाली तितली।। फूल-फूल पर आती जाती,रहती है कब खाली तितली।। सब को खुशियां देने वाली,ऐसी है मतवाली तितली।। छूने से ये डर जाती है,नाजो-नखरे वाली तितली। -विनोद सिल्ला

पशु पक्षियों की पाठशाला ( कविता )

पशु पक्षियों की पाठशाला ( कविता ) सुबह हुई है देखो भाई,पशु पक्षियों ने कक्षा लगाई,कौवा बोला ‘क’ से मैं,कोयल बोली ‘क’ से मैं,कबूतर बोला ‘क’ से मैं,ख से मैं हूँ खरगोश,बोला सब हो जाओ खामोश,न करो तुम आपस में लड़ाई,हमने अपनी अपनी पहचान बनाई,‘ग’ से बोले गधे भाई,एकता में है शक्ति समाईइतने में आये … Read more