कोरोना पर कविता
छीन लिया तूनें रोजी रोटी , सुख-चैन भी छीन लिया !
छीन लिया आँखों की नींद ,भोजन-भजन भी छीन लिया !!
बम से भी खतरनाक है तू , तोप तलवार में ऐसा क्षमता नहीं !
कौनसी शक्ति तुझमें है रे ,तेरा रफ्तार क्यों थमता नहीं !!
बेबस हुआ डाक्टर इंनजिनियर, तंत्र- यंत्र अब क्या करे ?
बेबस हुआ सारे जहाँ, सारी उपकरण रह गये हाथ धरे !!
थम गई संसार की गति, रेल, जहाज ,बसे की पहिया थमी !
आव भगत मित्रता थमी, राशन पानी की अब हुई कमी !!
दुनिया में हाहाकार मचा दिया, सारा जहाँ दहला दिया !
कम करदी जीने की आश, मौत का खौफ दिखा दिया !!
बंद कर अब अपना तांडव, नहीं तो नामो निशान मिट जायेगा !
प्रण लिया है सारे विश्व मिलकर, तूझे जड़ से मिटायेगा !!
################################ :::: मीठी::: ………………………………………………….
एक काम तूने अच्छा किया, बनाई प्रकृति की संतुलन !
कर लिया प्रकृति सोलह श्रृंगार, लग रही अब यौवन !!
नदियों की जल अब निर्मल हो गई , स्वच्छ हुआ अब सागर !
झील ताल सब निर्मल हो गई, हरियाली आई वनों पर !!
पंछियाँ अब कलरव करती ,चमन में भंवरों का शोर हुआ !
शुद्ध हुआ वायुमंडल, स्पवच्छ पर्यावरण चारो ओर हुआ !
अपनी कुकर्मो का मानव, तू भोग रहा हैं फल !
सबक नहीं लिया अभी भी , तो नहीं बचेंगे कल !!
दूजराम साहू
निवास -भरदाकला
तहसील -खैरागढ़
जिला -राजनांदगाँव (छ ग)